छठे उर्स मुबारक, ढोल नगाड़ों के साथ दरगाह पर पेश की गई चादर, साबरी ब्रदर्स ने बांधा समां
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छठे उर्स मुबारक, ढोल नगाड़ों के साथ दरगाह पर पेश की गई चादर, साबरी ब्रदर्स ने बांधा समां

संसार चंद्र रोड स्थित मीरजी के बाग़ दरगाह में हजरत सैय्यद महबूब उर रहमान नियाज़ी के छठे उर्स मुबारक के मौके पर दूसरे दिन सुबह कुरान खानी की गई और गुस्ल की रस्म अदा की गई. शाम को असर की नमाज के बाद अकीदतमन्दों ने जोशो खरोश के साथ चादर पेश की. देर रात महफिले समा जमी रही.

छठे उर्स मुबारक, ढोल नगाड़ों के साथ दरगाह पर पेश की गई चादर, साबरी ब्रदर्स ने बांधा समां

जयपुर: संसार चंद्र रोड स्थित मीरजी के बाग़ दरगाह में हजरत सैय्यद महबूब उर रहमान नियाज़ी के छठे उर्स मुबारक के मौके पर दूसरे दिन सुबह कुरान खानी की गई और गुस्ल की रस्म अदा की गई. शाम को असर की नमाज के बाद अकीदतमन्दों ने जोशो खरोश के साथ चादर पेश की. देर रात महफिले समा जमी रही. महफिल समा कव्वालों ने लोगों दाद लूटी. दरगाह सज्जादा नशीन डॉ. हबीबुर्रहमान नियाजी ने बताया कि हजरत महबूब और रहमान नियाजी के छठे उर्स मुबारक के मौके पर सुबह कुरान खानी की गई और उसके बाद मजार का ग़ुस्ल दिया गया.

दो साल बाद हुआ कार्यक्रम

 शाम को असर की नमाज के बाद अकीदत मन्दों चादर लेकर ढोल नगाड़ों ओर क़व्वाल शाहिद एंड पार्टी रामपुर ने "लाए हम दरबार में सरकार के चादर " गाते हुए दरगाह शरीफ पर पहुंचे और अकीदतमंदों में चादर पेश की. इस मौके पर मुरीदे ने बच्चों को मिश्री फ्रूट्स से तोला. साथ ही रात के वक्त महफिले समा कव्वाली की महफिल सजाई गई. जिसमें मशहूर कव्वाल उस्ताद मुबारक हुसैन के भतीजे उस्ताद तस्लीम हुसैन बरेलवी ,शाहिद एंड पार्टी रामपुर के अलावा बॉलीवुड के फेम साबरी बंधु और अनवर नियाज़ी एंड पार्टी ने अपने अपने कलाम पेश किए.

साबरी ब्रदर्स को सुनने के लिए दूर से आए लोग

सबरी बंधुओं को सुनने के लिए लोग बेताब रहे. उन्होंने बताया 2 साल कोरोना की वजह से उर्स मुबारक सादगी के साथ मनाया गया था. इस साल अकीदतमन्द बरेली,इलाहाबाद,दिल्ली, मुंबई,जोधपुर, सीकर, झालावाड़, कोटा, अंता, बारा, बूंदी ,कापरेन, हैदराबाद, अमरोहा ,अजमेर, बीकानेर से जायरीन की बड़ी तादाद उर्स मुबारक में शिरकत करने पहुंचे.

उन्होंने बताया इस बार हजारों की तादाद में अकीदत मंद अपनी मुरादे पाने के लिए दरगाह पर हाजिरी देने पहुंचे.जयपुर महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा के दरगाह मीर जी का बाग गंगा जमुनी तहजीब और भाईचारे की एक मिसाल है. जहां पर शास्त्रीय भक्ति गायन और सूफियाना कलाम की पेशकश हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक नजर आती है.

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