तेज धूप में पानी के लिए भटक रहे पशु-पक्षियों की प्यास बुझा रहे जैसलमेर के राधेश्याम
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तेज धूप में पानी के लिए भटक रहे पशु-पक्षियों की प्यास बुझा रहे जैसलमेर के राधेश्याम

Jaisalmer News:  राजस्थान के कई इलाकों में लोग तेज धूप और लू के बीच पानी को तरस रहे हैं. ऐसे में धोलिया निवासी वन्यजीव प्रेमी और पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पेमाणी ने धोलिया और खेतोलाई गांवों के पास स्थित जंगलों में विचरण करने वाले वन्यजीवों की प्यास बुझाने का बीड़ा उठाया है.

 

तेज धूप में पानी के लिए भटक रहे पशु-पक्षियों की प्यास बुझा रहे जैसलमेर के राधेश्याम

Jaisalmer: 40 डिग्री के पारे और लू के थपेड़ों के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बूंद बूंद पानी को तरस रहे हैं. तो वहीं वन्यजीव भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. ऐसे में धोलिया निवासी वन्यजीव प्रेमी और पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पेमाणी ने धोलिया और खेतोलाई गांवों के पास स्थित जंगलों में विचरण करने वाले वन्यजीवों की प्यास बुझाने का बीड़ा उठाया है. पेमाणी द्वारा धोलिया खेतोलाई के जंगलों में बनी 4 तालाब व 15 खेलियो में हर दुसरे दिन पानी डाला जा रहा है.जिससे करीब 10 हजार पशु पक्षी अपनी प्यास बुझा रहे है. 

राधेश्याम पेमाणी ने बताया कि इन जंगलों में राज्य पक्षी गोडावण, राज्य पशु चिंकारा, लोमड़ी, मरु बिल्ली, गिद्द, बाज, खरगोश व नीलगाय सहित कई वन्यजीव विचरण करते है. भीषण गर्मी में वन्यजीवों को पानी के लिए दर दर भटकते हुए देख यह काम शुरू किया है. ताकि जंगलों में विचरण करने वाले विलुप्त हो रहे राज्य पक्षी गोडावण व चिंकारा सहित दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीवों को काल का ग्रास नहीं बनना पड़े.

15 खेळियों में बोलेरो कैम्पर से करते है पानी की सप्लाई

राधेश्याम पेमाणी ने बताया कि 4 तालाब के साथ ही जंगलों में जहां पर दूर दूर तक पानी की व्यवस्था नहीं है ऐसे स्थानों पर कुल 15 खेळियां बनाई गई है. उन्होंने बताया कि इंटेक जोधपुर व ब्रिज फाउंडेशन द्वारा पत्थरों की 5 खेळियां उपलब्ध करवाई गई.वहीं पेमाणी के स्वयं खर्च से 10 खेळियां लगाई गई है.जिसमें करीब 1000 लीटर पानी का स्टोर होता है. इन 15 खेळियों में हर दूसरे व तीसरे दिन पानी भरा जाता है. पेमाणी इन जंगलों में कई किमी घूमते रहते है और पानी भरने का काम करते है. इन खेळियों में बोलेरो कैम्पर में करीब 1500 लीटर की पखाल रखी हुई है.

अपने स्तर पर ही तालाबों और खेळियों में भरवाते हैं पानी

राधेश्याम पेमाणी ने बताया कि उनके खेत में ट्यूबवैल है और टैंकर व बोलेरो कैंपर भी है. उन्होंने बताया कि चारों तालाब उनके ट्यूबवैल से करीब 10-10 किमी दूरी पर स्थित है.गंगाराम की ढाणी के पास बई नाडी, धोलिया के पास बरजांगरा नाडी, भादरिया के पास छैली नाडी व धोलिया के पास दंध नाडी है. बई नाडी, छैली नाडी व दंध नाड़ी में उनके खुद के ट्यूबवैल से टेकर भरकर पानी डाला जाता है. एक टैंकर में करीब 5500 से अधिक लीटर पानी आता है.

जंगलों में पानी होने से सड़क हादसों में आई कमी

जंगलों में पानी उपलब्ध होने के कारण वन्यजीवों को अब पानी के लिए भटकना नहीं पड़ रहा है. गौरतलब है कि जंगलों में पानी नहीं मिलने पर वन्यजीव सड़कों के किनारे टूटी पाइप लाइनों का जमा पानी पीने के लिए पहुंचते थे. वहीं कई वन्यजीव गांवों की तरफ आ जाते थे. जिससे कुत्ते कई वन्यजीवों का शिकार कर लेते थे. वहीं सड़क पार करते समय वाहनों की चपेट में आने से वन्यजीवों की मौत हो जाती थी. वन्यजीवों के साथ होने वाले सड़क हादसों में भी काफी कमी आई है.

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