पोकरण: हाथों में औजार लिए गीत गा रहे सैकड़ों किसान, जानें क्या ये लाह परंपरा?
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पोकरण: हाथों में औजार लिए गीत गा रहे सैकड़ों किसान, जानें क्या ये लाह परंपरा?

Pokran News: हाथों में औजार लिए 300 से 400 भणियाणा के किसान एक ही खेत में काम करते नजर आ रहे हैं और मस्ती में झूम कर गीत भी गा रहे हैं. 

 

पोकरण: हाथों में औजार लिए गीत गा रहे सैकड़ों किसान, जानें क्या ये लाह परंपरा?

Pokran, Jaisalmer News: जैसलमेर के भणियाणा के किसान अपने अलग अंदाज से सुर्खियां बटोर रहे हैं. हाथों में औजार लिए 300 से 400 किसान एक ही खेत में काम करते नजर आ रहे हैं और मस्ती में झूम कर गीत भी गा रहे हैं. 

यह नजारा आज रविवार को भणियाणा उपखंड के जैमला गांव का है, जहां किसान राजेंद्र जाखड़ सरपंच भणियाणा व कांग्रेस के युवा नेता गजेंद्र जाखड़ के खेत में नजर आया, गांव के खेत में सैकड़ों किसान एक साथ हाथों में औजार लिए गीत गाते काम करते नजर आए. इसे मारवाड़ में लाह कहा जाता है. एक साथ बाजरी व जंवार के डोके काटते नजर आए, तो हर कोई उन किसानों को देखने के लिए ठहर गया. किसानों ने बताया कि यह अनूठा श्रमदान हमारी सदियों पुरानी परंपरा है. 

बिना मेहनताना लिए एक साथ जुटते हैं सभी
किसानों की यह सदियों पुरानी परंपरा है, जब किसान खेत में काम करते वक्त उस कार्य को हल करने के लिए गांव के सभी किसान एक साथ योजना बनाते हैं और सब यह तय करते हैं कि हम सब मिलकर एक-दूसरे के खेत की आपस में मिलजुल कर सहयोग करते हैं, जिससे खेती-बाड़ी आसानी से टाइम पर निपट जाती है. काम जल्दी हो जाता है, दूसरे दिन फिर एक अलग किसान और उसका खेत और वह सभी किसान एक साथ उस किसान के खेत में सब मिलकर जाते हैं. गीत गाते है, नाचते हुए इस तरह से कम ही दिनों में कम मेहनत में पूरे गांव के जितने खेत हैं, इस सामूहिक श्रमदान में साफ हो जाते हैं. यह अनूठी परंपरा सदियों से चलती आ रही है और आज भी उसी प्रकार कायम है. 

गीत गाकर करते हैं श्रमदान
किसानों ने बताया कि हम बिना मेहनताना लिए एक-दूसरे की मदद हो जाती है और खेती के काम में हाथ बटांते हैं, इस परंपरा को मारवाड़ में लाह बोलते हैं. 

काम के बाद में सबको मिलता है घी-चूरमा 
खेत मालिक किसान का काम पूरा हो जाने पर वह सभी किसान भाइयों को घी से बना खाना खिलाते हैं, ऐसा हर दिन हर बार होता है. सामूहिक श्रमदान करने वाले सेवादारों व किसानों को खेत मालिक की तरफ से बढ़िया भोजन करवाया जाता है. भणियाणा सरपंच राजेंद्र जाखड़ इस प्रकार की परंपरा को हर साल निभाते आ रहे हैं. 

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