Jhunjhunu News: पहले किसान को आत्महत्या करने पुलिस ने बचाया, फिर सुरक्षा इंतजाम में हुए खर्च के नाम पर दे दिया लाखों का बिल
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Jhunjhunu News: पहले किसान को आत्महत्या करने पुलिस ने बचाया, फिर सुरक्षा इंतजाम में हुए खर्च के नाम पर दे दिया लाखों का बिल

Jhunjhunu News: राजस्थान के झुंझुनू जिले में पुलिस का कारनामा देख हर कोई हैरान हो गया है.  जिले में एक किसान को आत्महत्या से बचाने के लिए पुलिस सुरक्षा इंतजाम कर उसे बचाया और फिर  लाखों रुपये का भुगतान करने को कहा.

Jhunjhunu News: पहले किसान को आत्महत्या करने पुलिस ने बचाया, फिर सुरक्षा इंतजाम में हुए खर्च के नाम पर दे दिया लाखों का बिल

Jhunjhunu News: राजस्थान के झुंझुनू जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आय़ा है. पुलिस ने एक किसान को आत्महत्या से बचाया. जिसके लिए उन्होंने कुछ सुरक्षा इंतजाम किए थे. इसके बाद पुलिस ने किसान से 9.91 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा है. किसान भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजा न मिलने पर अपनी जान देने की धमकी दे रहा था. किसान का कहना है कि मैंने किसी भी तरह की सुरक्षा की मांग नहीं की थी. जिला प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा की व्यवस्था की और अब एसपी ने मुझे ये भुगतान करने को कहा है. 

बीती 17 दिसंबर को झुंझुनू के पुलिस अधीक्षक ने एक नोटिस जारी कर जानकारी दी कि विद्याधर यादव की सुरक्षा में कुल 99 पुलिसकर्मीयों को लगाया गया था. इसमें एक एएसपी, दो डीएसपी, दो इंस्पैक्टर, तीन सब इंस्पैक्टर, छह सहायक सब इंस्पैक्टर, 18 हेड कांस्टेबल सहित 67 कांस्टेबल तैनात थे. 

उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मीयों के अलावा सरकारी वाहनों का इस्तेमाल हुआ है. इससे राज्य का खर्च बढ़ा है. नोटिस में आगे कहा गया है कि उनकी सुरक्षा पर खर्च किए गए 9,91,577 रुपए उनसे वसूल किए जाएंगे. एसपी झुंझुनू शरद चौधरी ने कहा कि सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किए जाने के कारण किसान को ये नोटिस दिया गया है.

वहीं यादव का कहना है  कि जब जिला प्रशासन और सीमेंट कंपनी के अधिकारियों ने मुआवजे के संबंध में कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया तो उन्होंने 9 दिसंबर को जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर आत्महत्या करने की धमकी दी था.  वहीं 11 दिसंबर को सुबह 11 बजे तक की डेड लाइन दी थी. 

 

उसने बताया कि मैं लगातार एसडीएम और कंपनी के अधिकारियों से मुआवजा राशि जारी करने का आग्रह कर रहा था, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया जा रहा था.  इसलिए मैंने इच्छा मृत्यु के लिए राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को दिया और 11 दिसंबर तक का समय दिया था.

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