झुंझुनूं जिले के डूंडलोद-मुकुंदगढ़ कस्बे के मध्य स्थित अष्ट विनायक धाम देश का पहला और एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां एक साथ अष्ट विनायक के दर्शन होते हैं. यूं तो देश में कई जगह अष्ट विनायक मंदिर हैं
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मुकुंदगढ़: झुंझुनूं जिले के डूंडलोद-मुकुंदगढ़ कस्बे के मध्य स्थित अष्ट विनायक धाम देश का पहला और एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां एक साथ अष्ट विनायक के दर्शन होते हैं. यूं तो देश में कई जगह अष्ट विनायक मंदिर हैं, लेकिन सभी जगह मूर्तियां एक दूसरे के सामने लगी हुई हैं. इस कारण सभी के एक साथ एक नजर में दर्शन नहीं हो सकते. प्रत्येक मूर्ति के दर्शन के लिए उसके पास जाना होता है. जबकि यहां एक ही कतार में अष्ट विनायक की मूर्तियां विराजमान है. जिन्हें एक नजर में देख सकते हैं.
इसी खासियत के कारण बहुत कम समय में ही यह धाम लोकप्रिय हो गया. जन-जन की आस्था का केंद्र बन गया. यहां हर बुधवार को मेले जैसा माहौल रहता है. गणेश चतुर्थी पर यहां दो दिवसीय मेला भरता है. दो दिन अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं. नवलगढ़-मुकुंदगढ़ और डूंडलोद से हजारों भक्त निशान लेकर पैदल यात्रा करते हैं. अष्ट विनायक के दरबार में निशान अर्पित करते हैं. डूंडलोद-मुकुंदगढ़ रोड स्थित अष्ट विनायक धाम महाराष्ट्र के अष्ट विनायक (गणेश जी को आठ अलग-अलग मंदिरों) की तर्ज पर बना हुआ है.
मंदिर के मुख्य ट्रस्टी अनिल अग्रवाल उर्फ अन्नु कहते हैं कि महाराष्ट्र में गणेश जी के आठ अलग-अलग ख्याति प्राप्त मंदिर हैं. इनकी यात्रा पूरी करने पर अष्ट विनायक धाम की यात्रा पूरी मानी जाती है. इनकी यात्रा पूरी करने के लिए महाराष्ट्र में ही करीब 900 किमी का सफर करना पड़ता है. इन सभी आठ मूर्तियों के स्वरूपों की ही यहां एक जगह स्थापना की गई है. ताकि कोई भी भक्त एक ही जगह आकर गणेश जी के इन सभी आठ स्वरूपों के दर्शन कर सके.
गणेशजी के यह आठ स्वरूप विराजमान हैं अष्ट विनायक धाम में
डूंडलोद के अष्ट विनायक धाम में महाराष्ट्र के मोरगांव पूणे के श्री मोरेश्वर (मयूरेश्वर), पाली रायगड के श्री बल्लालेश्वर, महड रायगड के वरद विनायक, सिद्धटेक अहमदनगर के श्री सिद्धि विनायक, थेऊर पूणे के श्री चिंतामणी, लेण्यादरी पूणे के श्री गिरीजात्मज गणपति, ओझर के श्री विघ्नेश्वर, राजनगांव पूणे के श्री महागणपति विराजमान हैं. इन सभी विनायक मंदिरों के दर्शन करने के लिए तीन दिन का समय लगता है. इनके बीच की दूरी करीब 900 किमी है.
तीन बार कोशिश की तब विराजमान हुए बालाजी
जिले के डूंडलोद-मुकुंदगढ़ कस्बे के मध्य स्थित अष्ट विनायक धाम को हर कोई जानता है. आज यह लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र बना हुआ है. रोजाना यहां सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं. हर बुधवार को यहां मेला लगता है. लेकिन इसकी स्थापना के पीछे का राज किसी को पता नहीं. आइए, आज हम आपको इस अनूठे मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी से रूबरू करवाते हैं. मलसीसर निवासी मुंबई प्रवासी सेठ अनिल अग्रवाल उर्फ अन्नु ने वर्ष 2008-09 में यहां सड़क किनारे एक खेत खरीदा था. खेत में ट्यूबवैल के साथ बालाजी का मंदिर बनवाया. मूर्ति की स्थापना करने से पहले ही लगा कि यह छोटा बन गया, इसे बड़ा बनवाना चाहिए. तब उसकी जगह बड़ा मंदिर बनवाने का काम शुरू कर दिया.
बालाजी महाराज भी विराजमान
इस बार भी मंदिर बन गया, लेकिन उसमें मूर्ति स्थापना होती उससे पहले ही किसी ने कह दिया कि मूर्ति के सामने पीलर आ रहा है. यानी दूसरी बार भी स्थापना टालनी पड़ी. तब किसी ने बताया कि प्रथम पूज्य देव गणेश जी को याद नहीं किया, इसलिए ऐसा हो रहा है. बस उसी दिन गणेश जी का ध्यान किया और अपने आप ही दिमाग में अष्ट विनायक धाम का खाका उतर आया. परिवार जनों व मित्रों से चर्चा की. देखते ही देखते सब कुछ हो गया और वर्ष 2015 में फरवरी माह में अष्ट विनायक धाम बनकर तैयार हो गया. इस बार गणेश जी के साथ बालाजी महाराज भी विराजमान हो गए.
प्रदेश का अकेला अष्ट विनायक धाम
डूंडलोद-मुकुंदगढ़ रोड पर स्थित अष्ट विनायक धाम की स्थापना महज सात साल पहले ही हुई थी. लेकिन इन सात सालों में ही मंदिर की मान्यता चारों तरफ फैल गई. मंदिर की वास्तुकला हर किसी को आकर्षित करती है. प्रदेश के अकेला अष्ट विनायक धाम होने के कारण यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. हर दिन यहां मेले जैसा माहौल रहता है. खासकर हर बुधवार को यहां सैकड़ों की भीड़ जुटती है. गणेश चतुर्थी पर यहां दो दिन आयोजन होते हैं. जिनमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं. इनमें आसपास के ही नहीं वरन प्रदेश के विभिन्न इलाकों से श्रद्धालु आते हैं.
हजारों श्रद्धालु अर्पित करेंगे बाबा को निशान
गणेश चतुर्थी पर अष्ट विनायक धाम में नवलगढ़, डूंडलोद व मुकुंदगढ़ से हजारों श्रद्धालु निशान लेकर पैदल यात्रा करते हैं. प्रथम पूज्य के दरबार में पहुंचकर उन्हें निशान अर्पित करते हैं. अष्ट विनायक को मनौति का नारियल बांधते हैं. पुजारी के अनुसार यहां पर हर बुधवार को विशेष पूजा अर्चना होती है. जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं. आसपास के इलाके में मंदिर की मान्यता बहुत अधिक है.
दूसरी तरफ राधा-कृष्ण विराजमान
अष्ट विनायक धाम की खासियत यह है कि इसमें अष्ट विनायक के एक तरफ बालाजी महाराज विराजमान हैं तो दूसरी तरफ राधा-कृष्ण विराजमान हैं. इन दोनों के बीच में अष्ट विनायक विराजमान हैं. देश में गणेशजी के प्रख्यात मंदिरों में से आठ मंदिरों के प्रतिरूप की प्रतिमाएं यहां विराजमान की गई हैं. इसलिए इसे अष्ट विनायक धाम कहा जाता है.
Reporter- Sandeep Kedia
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