प्रतापगढ़ जिले में मानसून और बारिश होने के साथ ही जंगल में कब्जे बढ़ते जा रहे है और वन विभाग की ओर से कब्जे हटाए जा रहे है, लेकिन हालात यह है कि अगर वन विभाग की ओर से किसी अतिक्रमी को हटाया जाता है.
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Pratapgargh: प्रतापगढ़ जिले में मानसून और बारिश होने के साथ ही जंगल में कब्जे बढ़ते जा रहे है और वन विभाग की ओर से कब्जे हटाए जा रहे है, लेकिन हालात यह है कि अगर वन विभाग की ओर से किसी अतिक्रमी को हटाया जाता है. तो वहीं, दूसरे वर्ष इसी स्थान पर अन्य व्यक्ति काब्जा कर लेता है. जिससे वन विभाग की मशक्कत भी बढ़ती जा रही है.अतिक्रमियों के जरिए वन क्षेत्र में खाली जमीन पर कब्जा कर अतिक्रमण किया जाता है.
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जिले के वन क्षेत्र में जमीन पर अतिक्रमण के मामले पिछले एक महीने से अधिक सामने आ रहे है. अब हालात यह है कि कहीं झोपड़िया बनाई जा रही है. तो कहीं स्थानों पर हंकाई कर खेत बनाए जा रहे है. जिले में वन अधिकार के बाद से ही अतिक्रमण किए जाने के मामले काफी बढ़ गए. जबकि साल 2005 से पहले के काबिज लोगों को ही इसका लाभ दिया जाता है, लेकिन वनाधिकार की आड़ में कई लोग हर साल अतिक्रमण करने से नहीं चूकते है. इस साल भी जिले में वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं.ऐसे में वन विभाग की ओर से भी अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं.जिले में बारिश होने के साथ ही वन भूमि में सीमा रेंज देवगढ़ में अतिक्रमण के मामले सामने आए है.जिसमें बोरदी, पिपली खेड़ा, ग्यासपुर, केशरपुरा, लालपुरा, चौतरियां मंगरी, खूंटगढ़, आडावेला गांव के लोगों के जरिए पेड़ों को काटना और अतिक्रमण करना सामने आया है.
इस पर वन विभाग की टीमों ने यहां काबिज हो रहे लोगों के अतिक्रमण हटाए. इसके साथ ही आगे से अतिक्रमण नहीं करने के लिए पाबंद किया है. जंगलों में लगातार बढ़ते अतिक्रमण को लेकर अब वन अधिकार में संशोधन की मांग भी उठने लगी है. वन सुरक्षा समिति चिकलाड के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह का कहना है कि, गत वर्षों से जंगल में वन अधिकार की आड़ में काफी नुकसान किया जा रहा है.जिससे जंगल में कटाई और अन्य नुकसान शामिल है.ऐसे में सरकार को चाहिए कि वन अधिकार में संशोधन किया जाए.जिससे जंगल को बचाया जा सके.वहीं इसमें जंगल में निवासरत लोगों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करना होगा.तभी जंगल बच सकेगा.
Reporter: Vivek Upadhyay
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