Sammed Shikhar: सम्मेद शिखर को बचाने के लिए जैन समाज मैदान में उतर चुका है, इसीक्रम में बीते दिन राजसमंद के नाथद्वारा में मौन जुलूस निकालकर राष्ट्रपति, पीएम मोदी, झारखंड सीएम के नाम पर ज्ञापन सौंपा. देशभर में इस मांग को लेकर समाज के लोग सरकार का विरोध कर रहे हैं.
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Sammed Shikhar: राजसमंद में जैन समाज के तीर्थ सम्मेद शिखर को बचाने की मांग को लेकर सकल जैन समाज की ओर से लोगों ने नाथद्वारा में सड़क पर मौन जलूस निकाला. इस दौरान जैन समाज ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे और मांगों को लेकर नगर के लालबाजार से मौन जुलूस की शुरुआत की, तो वहीं हजारों की संख्या में जैन समाज की महिलाओं और पुरुषों ने इसमें भाग लेते हुए एक कतारबद्ध चलते हुए नगर के मुख्य मार्गों से गुजर कर स्थानीय उपखंड कार्यालय पहुंचे.
जहां पर जैन के सबसे बड़े तीर्थ एवं पूजा स्थल को सार्वजनिक पर्यटन स्थल में परिवर्तित करने वाले अल्पसंख्यक के खिलाफ झारखंड राज्य सरकार के आदेश से व्यथित एवं असंतुष्ट होकर सकल जैन समाज के बैनर तले मौके पर मौजूद तहसीलदार को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा.
राजसमंद में इस दौरान सकल जैन समाज नाथद्वारा अध्यक्ष ईश्वर सिंह सामोता ने बताया कि सम्मेद शिखर पर जैन समाज के 24 में से 20 जैन तीर्थंकर मोक्ष गए हैं. जैन समाज के लिए सम्मेद शिखर सदियों से वंदनीय रहा है. प्रत्येक जैन व्यक्ति इस तीर्थ की अधिक से अधिक वंदना करता है.
इस सम्मेद शिखर की सभी पर्वत श्रंखलाएं इतनी पवित्र मानी जाती है कि इस पर्वत की वंदना करने जाते समय सैकडों जैन भक्त चप्पल जूते भी धारण नहीं करते और उपवास रख कर वंदना करते हैं. लेकिन सरकार की अनुसंशा पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने 2 अगस्त 2019 को अधिसूचना जारी कर सम्मेद शिखर को वन्य जीव अभ्यारण का एक भाग घोषित कर दिया. जिसमें पर्यावरण, पर्यटन व गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति दी गई है.
जिसके विरोध में आज जैन समाज ने ज्ञापन सौंप अपने पावन पवित्र तीर्थ पर पर्यटन व गैर धार्मिक गतिविधियां नहीं चाहने व केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना तुरंत वापस लेनी की मांग की.
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