सीकर न्यूज: कमांडो की ट्रेनिंग के दौरान घायल हुए कैप्टन जागृत कौशिक का निधन हो गया.सीकर शहर में आज सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. वहीं प्रशासनिक अधिकारियों के नहीं पहुंचने पर लोगों ने नाराजगी जताई.
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Sikar: सीकर शहर के पिपराली रोड निवासी सेना के कैप्टन जाग्रत कौशिक का पुणे के सैनिक हॉस्पिटल में निधन हो गया था. आज उनका सीकर शहर के पिपराली रोड स्थित मुक्तिधाम में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. सेना के अधिकारी संकल्प सिंह राठौड़ सहित सेना के जवानों ने तिरंगे ध्वज में लिपटे जाग्रत कौशिक को गार्ड ऑफ ऑनर और सलामी दी.
नम आंखों से दी गई विदाई
नम आंखों से हजारों लोगो ने उन्हें अंतिम विदाई दी. कैप्टन जाग्रत के पिता हरित कौशिक ने बताया कि साल 2019 में जाग्रत का सेना के लिए सिलेक्शन हुआ था. एक साल बाद ही जाग्रत कैप्टन के लिए सिलेक्ट किया गया. जाग्रत की अभी कमांडो की ट्रेनिंग बेंगलुरु के बेलगांव में चल रही थी. जो अंतिम चरण में थी. ट्रेनिंग के दौरान जाग्रत इंजर्ड हो गया और सर्वाइकल इंजरी के चलते एक महीने तक बेंगलुरु सेना के अस्पताल में भर्ती रहा. उसके बाद 6 माह तक पुणे में सेना के अस्पताल में भर्ती रहा. जहां बीते दिन सुबह जाग्रत का निधन हो गया.
वहीं जाग्रत के ताऊ सुधीर कौशिक ने बताया कि जाग्रत ने 12 वीं तक पढ़ाई की. उसके बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और एक मल्टीनेशनल कंपनी में 6 महीने तक काम किया. उसके बाद साल 2019 में जाग्रत को सेना में सीधे लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली. जाग्रत जम्मू-कश्मीर रेजीमेंट में तैनात था. उसकी पहली पोस्टिंग सियाचिन बॉर्डर पर थी. उसके बाद उत्तराखंड के बनवासा में नौकरी करने चला गया.
लेफ्टिनेंट के बाद जाग्रत को एक साल में ही कैप्टन के रूप में प्रमोशन मिला. प्रमोशन के बाद कमांडो की ट्रेनिंग के लिए सिलेक्ट हुआ और कमांडो की ट्रेनिंग के लिए बेंगलुरु के बेलगांव गया. जहां बीते वर्ष 19 दिसंबर 2022 को ट्रेनिंग के दौरान सिर के पीछे के हिस्से की हड्डी क्रेक होने के चलते जाग्रत पिछले 7 माह से कोमा में था. जाग्रत को इंजर्ड होने के बाद 1 महीने तक बेंगलुरु के सेना के हॉस्पिटल में रखा गया. उसके बाद सेना के विमान से पुणे के हॉस्पिटल में लाया गया. जहां उसका 6 माह तक इलाज चला. बीते दिन शुक्रवार को सुबह 7:30 बजे जाग्रत ने अंतिम सांस ली और उसका निधन हुआ.
जवान जाग्रत के पिता हरित कौशिक नागौर जिले के मारवाड़ मूंडवा की एक सीमेंट कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत है. वही माता उषा कौशिक ग्रहणी है. जाग्रत का बड़ा भाई सुरभित आर्मी इंटेलिजेंसी में वर्तमान में दिल्ली एयरपोर्ट पर तैनात है. परिजनों ने बताया कि दोनों भाइयों ने नौकरी के चलते घरवालों को कुछ समय तक शादी करने के लिए भी मना कर दिया था.
अक्टूबर में छुट्टी लेकर आया था अपने घर सीकर
जाग्रत के ताऊ सुधीर कौशिक ने बताया कि अक्टूबर 2022 में जाग्रत 15 दिनों की छुट्टी लेकर घर आया था. लेकिन इसी दौरान सेना के इंटरनल गेम आयोजित होने के कारण उसे बीच में ही वापस बुला लिया गया. उसके बाद गेम्स खत्म होने पर वह घर आने की बजाए सीधा ट्रेनिंग पर चला गया. जहां ट्रेनिंग के दौरान यह दुर्घटना हुई.
अधिकारियों के नहीं पहुंचने पर जताया रोष
सेना के जवान जाग्रत का निधन होने के बाद पिपराली रोड स्थित मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के नहीं पहुंचने के चलते जनप्रतिनिधियों व आमजन ने नाराजगी जाहिर की. उप जिला प्रमुख ताराचंद धायल ने कहा कि सीकर शहर के सेना के कैप्टन का निधन होने के बाद भी यहां का कोई भी प्रशासनिक अधिकारी अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं आया यह बड़े दुख की बात है. जिसके बारे में प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत भी करवाया जाएगा.
अंतिम संस्कार में सेना के जवान, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष महेश शर्मा, जिला प्रवक्ता रतन लाल सैनी, शहर कोतवाल पवन कुमार चौबे, सुरेश पारीक, विजय सैनी, दिनेश दादिया, राजेश सैनी सहित बड़ी संख्या में शहरवासी मौजूद रहे.
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