Vijayadashami RSS: विश्व के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठनों की सूची में शामिल RSS, विजयदशमी पर 97वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है. इस अवसर पर सरसंघचालक मोहन भागवत भविष्य की योजनाओं के बारे में बता सकते हैं कि आरएसएस के 100 वर्ष होने पर इस संगठन का क्या स्वरूप होगा?
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Rss Path Sanchalan: आरएसएस की स्थापना आजादी से पहले 1925 में हुई थी उस समय शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि कुछ छोटे बच्चों और युवाओं के साथ बना ये संगठन आगामी 2025 में सौ वर्ष पूर्ण करेगा. संघ के कई वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशैली और विचार, राष्ट्र की अखण्डता और मां भारती के गौरव के लिए कटिबद्ध हैं. संघ भारत सहित विश्व भर के 32 से ज्यादा देशों में ‘राष्ट्र निर्माण’ और ‘चरित्र निर्माण’ के लिए काम कर रहा है. संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी कहते हैं कि संघ की कार्यशैली कोई तब तक नहीं समझ सकता, जब तक वो संघ की शाखा में नहीं आता. RSS ने पिछले 95वर्षों में अपने आप को हर सामाजिक आयाम में एक संगठन के साथ स्थापित किया है. जिसे आसान भाषा में कहा जा सकता है कि एक पेड़ की कई शाखाएं है. पेड़ यानी संघ, जिसकी सुबह-शाम मिलाकर पूरे भारत भर में नियमित 60 हजार शाखाएं लगती हैं और दूसरी शाखाएं इसके अनुषांगिक संगठन. जिसमें सेवा भारती, विध्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, संस्कार भारती, VHP, ABVP और भाजपा जैसे कई बड़े संगठन हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि संघ अपने अनुषांगिक संगठनों में हस्तक्षेप नहीं करता लेकिन समय-समय पर समन्वय जरूर बनाया जाता है.
1963 का रिपब्लिक डे जब नेहरू ने बुलाया संघ को
1962 में चीन ने भारत पर धोखे से आक्रमण किया था. उस समय संघ के राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा और अदम्य साहस से तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू भी प्रभावित हुए थे. उसी वजह से उन्होंने 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड पर संघ को आमंत्रित किया था. आज संघ और इसके सेवा भारती जैसे अनुसांगिक संगठन किसी भी राष्ट्रीय या प्राकृतिक आपदा के समय निस्वार्थ भाव से सेवा में लग जाते हैं और हां संघ का ही अनुषांगिक संगठन भाजपा, विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है.
जब गांधी ने कहा RSS में नहीं है जातिवाद
संघ में लंबे समय से काम कर रहे लोग वैसे तो कभी संघ पर उठने वाले सवालों पर जवाब नहीं देते हैं और कहते हैं कि जिन्हें जैसा ठीक लगे वो कहे, हम अपने ध्येय पथ पर बढ़ रहे हैं. बहुत पूछने पर मुस्कुराते हुए बताते हैं कि आज जो लोग संघ को कोसते हैं. उन्हें शायद 1934 का वर्धा शिविर नहीं याद, जब गांधी जी इस बात से बहुत प्रभावित और अचंभित भी हुए थे कि संघ के कार्यकर्ताओं में ‘जातिवाद’ का भाव नहीं है.
आसान नहीं रहे RSS के 96 साल
RSS ने 96 साल पूरे कर लिए है. इस सफर में संघ ने कई राजनीतिक प्रतिबंधों को सामना किया, आपको बता दें कि इस बीच संघ ने कुल 3 बार बैन झेले. गांधी जी की हत्या के बाद RSS को पहली बार 1948 में बैन किया गया था. दूसरी बार इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए RSS पर प्रतिबंध लगा था. ये बात 1975 की है जब देश में आपातकाल की घोषणा की जा चुकी थी और तीसरी बार RSS पर प्रतिबंध लगा. तीसरा बैन 1992 के दौरान लगाया गया, जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था. वैसे एक बात कमाल की बात देखने में आती है कि इन प्रतिबंधों के बावजूद भी कई गुना ज्यादा इच्छा शक्ति के साथ संघ ने हर बार वापसी की.
शताब्दी वर्ष का खांका खीचेंगे भागवत!
संघ के अधिकारी का कहना है कि आज जब ‘अर्थ-युग’ है तब ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ जैसा वटवृक्ष संगठन, मां भारती के गौरव को विश्व के पटल पर उभारने में लगा हुआ है. हम अपने ‘शताब्दी वर्ष’ पर ‘राष्ट्र प्रथम’ का भाव लोगों तक पहुंचाने में सफल होंगे. संभावना है कि आज सरसंघचालक मोहन भागवत भी संघ की 100वर्ष की यात्रा पूर्ण होने को लेकर संदेश दें. इसमें वे सामाजिक कार्य और राष्ट्रोत्थान के कई महत्वपूर्ण विषयों पर उद्भोदन दे सकते हैं.
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