Maharashtra Politics: शरद पवार (Sharad Pawar) ने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) को हटाने की मांग की है. ऐसा नहीं किया तो सबक सिखाने की बात भी कही है.
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Sharad Pawar's Statement: महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) के बयान को लेकर राज्य की सियासत में हलचल मची हुई है. महाराष्ट्र में शनिवार को महा विकास आघाड़ी (MVA) ने जोरदार प्रदर्शन किया. इसमें शिवसेना उद्धव गुट, कांग्रेस और एनसीपी (NCP) के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए. इस बीच एनसीपी चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) केंद्र सरकार को महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को हटाने के लिए चेतावनी दी है. गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के छत्रपति शिवाजी महाराज पर कथित विवादित बयान पर विपक्षी दल आपत्ति जता रहे हैं.
शरद पवार की चेतावनी
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज को अपमानित करने के लिए गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को तुरंत हटा देना चाहिए. महा विकास अघाड़ी में शामिल तीनों पार्टियों की विचारधारा अलग-अलग हो सकती है, पर महाराष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के खातिर तीनों को एक साथ रहने की जरूरत है. अगर गवर्नर को नहीं हटाया गया तो उन्हें सबक सिखाने के लिए हमें कदम उठाने होंगे.
बर्दाश्त नहीं किया जा सकता अपमान
शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की प्रगति के लिए नहीं बल्कि इसको बदनाम करने की होड़ लगी हुई है. महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि आंबेडकर और महात्मा फुले ने स्कूल को शुरू करने के खातिर भीख मांगी थी. ऐसे अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. महाराष्ट्र के सम्मान की रक्षा के लिए अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के बावजूद हमें एकजुट होना होगा. अगर गवर्नर को नहीं हटाया गया तो हमें भविष्य की कार्रवाई को तय करने के लिए एक्शन लेना होगा.
हल्ला बोल प्रदर्शन कर जताया विरोध
गौरतलब है कि महा विकास अघाड़ी के घटक दलों शिवसेना (उद्धव गुट), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस ने गवर्नर की टिप्पणी व अन्य मुद्दों को लेकर सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ हल्ला बोल (Halla Bol) प्रदर्शन के समाप्त होने पर आयोजित की गई रैली में ये मांग की.
वहीं, पार्टी नेता अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र को बचाने के खातिर गवर्नर को हटाना चाहिए. दरअसल पिछले महीने एक प्रोग्राम में भाषण देते हुए गवर्नर कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘पुराने जमाने के प्रतीक’ के रूप में बताया था. इसके अलावा उनके ऊपर महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है.
(इनपुट- भाषा)
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