NASA के वॉयजर-1 अंतरिक्ष यान में तकनीकी खराबी, वैज्ञानिकों की बढ़ी परेशानी, पृथ्वी को नहीं मिल रहा सही मैसेज
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NASA के वॉयजर-1 अंतरिक्ष यान में तकनीकी खराबी, वैज्ञानिकों की बढ़ी परेशानी, पृथ्वी को नहीं मिल रहा सही मैसेज

NASA's Voyager-1 : नासा का Voyager 1 लगभग 40 सालों से अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है. उस समय में यह अंतरिक्ष में जाने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया था. बताया जा रहा है, कि यान इस समय तकनीकी परेशानी से जूझ रहा है, जिसकी वजह से पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को सही जानकारी नहीं मिल रही है. 

 

NASA's Voyager-1

NASA : अंतरिक्ष एजेंसी नासा ( NASA ) का वोयाजर 1 अंतरिक्ष यान इस समय तकनीकी समस्या का सामना कर रहा है, जिसकी वजह से पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को उससे सही जानकारी नहीं मिल पा रही है. नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) में काम करने वाली वोयाजर इंटरस्टेलर मिशन की प्रोजेक्ट मैनेजर सुजैन डोड ने बताया है, कि अंतरिक्ष यान ने ठीक तरह से बात करना बंद कर दिया है और यह एक गंभीर समस्या है. बता दें, डोड 2010 से वोयाजर इंटरस्टेलर मिशन के प्रोजेक्ट मैनेजर रही हैं.

 

Voyager 1 बाइनरी कोड में नहीं भेज रहा मैसेज

 

वोयाजर 1 आमतौर पर बाइनरी कोड में पृथ्वी पर मैसेज भेजता है, लेकिन इस समय वह बाइनरी कोड में मैसेज भेजने के बजाय वह सिर्फ 1s और 0s को ही वापस भेजे जा रहा है. वैज्ञानिकों ने इसके सेटिंग्स को रिसेट करने के लिए कई तरीकों पर काम किया, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. नवंबर से ही अंतरिक्ष यान Voyager 1 पृथ्वी पर ऐसे मैसेज भेज रहा है, जिनका कोई भी मतलब नहीं है. 

 

क्या हो सकती है दिक्कत?

 

वोयाजर 1 वर्तमान में पृथ्वी से 15 अरब मील की अधिक दूरी पर है, लेकिन अपने यंत्रों के कारण यह अभी भी एक्टिव फॉर्म में चल रहा है. सही मैसेज नहीं भेज पाने के कारण को लेकर वैज्ञानिकों का अनुमान है, कि इसके ऑनबोर्ड कंप्यूटर में कोई समस्या है. सौरमंडल की स्टडी करने के लिए नासा (NASA )  ने 1977 में वोयाजर 1 अंतरिक्ष यान को लॉन्च किया था.

 

40 से ज्यादा सालों तक स्पेस में Voyager 1  

 

वोयाजर 1 और उसका सहोदर वोयाजर 2 1977 में लॉन्च होने के बाद 40 से ज्यादा सालों से अपनी यात्रा पर हैं. हमारा ग्रह सूर्य से जितना दूर है, वे दोनों पृथ्वी से 130 गुना से भी अधिक दूर हैं. दोनों अंतरिक्ष यान शुरू में बृहस्पति, शनि और दो ग्रहों के बड़े चंद्रमाओं का पांच साल की अवधि में स्टडी करने के लिए चार साल के मिशन पर थे.

2010 से वोयाजर इंटरस्टेलर मिशन के प्रोजेक्ट मैनेजर रहे नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी की सुजैन डोड ने वोयाजर 1 को लेकर बड़ा दावा किया है, डोड के मुताबिक वोयाजर 1 के साथ नियमित रुपसे से संपर्क नहीं हो पा रहा है. बता दें कि वोयाजर 2 यूरेनस और नेप्च्यून का पता लगाने के लिए गया था. इस जुड़वा अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति और शनि के गृह के कई अहम डेटा भेजे. शनि के छल्लों के जटिलताओं से जुड़ा डेटा, तो वहीं चंद्रमा पर ज्वालामुखी के संकेत जैसे कई अहम डेटा वोयाजर ने नासा को भेजे हैं.

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