Supreme Court of India: वकील पर खफा हुए जज, भाई कितनी दफा बोलेंगे माई लॉर्ड, Sir कहिए दे दूंगा आधी सैलरी
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Supreme Court of India: वकील पर खफा हुए जज, भाई कितनी दफा बोलेंगे माई लॉर्ड, Sir कहिए दे दूंगा आधी सैलरी

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई या बहस के दौरान जजों को वकील माई लॉर्ज या योर लॉर्डशिप के जरिए संबोधन देते हैं, सुनवाई के दौरान जब एक सीनियर वकील ने जस्टिस पी एस नरसिंहा के  लिए माई लॉर्ड कहा तो उन्होंने पहले चेताया और कहा कि अगर आप सर बोलेंगे तो आधी सैलरी दे दूंगा.

Supreme Court of India: वकील पर खफा हुए जज, भाई कितनी दफा बोलेंगे माई लॉर्ड, Sir कहिए दे दूंगा आधी सैलरी

My Lord in Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में वकील अपनी बात रखने के दौरान जजों को माई लॉर्ड या योर लॉर्डशिप का संबोधन दिया करते थे. हालांकि 2006 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक खास प्रस्ताव पारित किया जिसमें खास फैसला लिया गया था. बार काउंसिल ने कहा कि अब कोई भी वकील जजों को माई लॉर्ड या योर लॉर्डशिप से संबोधित नहीं करेगा. यह बात अलग है कि वकील इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं. इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट में एक दिलचस्प प्रसंग सामने आया. जस्टिस पी एस नरसिंहा की कोर्ट में एक वकील बार बार माई लॉर्ड के नाम से उन्हें संबोधित कर रहे थे. यह सुन पी एस नरसिंहा ने दिलचस्प टिप्पणी की.

जब जज बोले- आधी सैलरी दे देंगे

जस्टिस पी एस नरसिंहा ने उस वकील से कहा कि आप कितनी दफा माई लॉर्ड्स कहेंगे, अगर आप इस शब्द का इस्तेमाल ना करें तो वे अपनी आधी सैलरी दे देंगे. उन्होंने यह भी कहा कि आप इन शब्दों की जगह सर क्यों नहीं बोलते, अगर आप ऐसा नहीं करते तो वो गिनना शुरू कर देंगे कि आप ने कितनी दफा माई लॉर्ड और योर लॉर्डशिप कहा है, सामान्य तौर पर बहस के दौरान या नियमित सुनवाई में वकील इन शब्दों का इस्तेमाल लगातार करते हैं, हालांकि वकील ही कहा करते थे कि यह औपनिवेशिक शासन का प्रतीक है और इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. वकील इसे दास्ता का प्रतीक बताते थे. बता दें कि ब्रिटिश सरकार के दौर में अदालतों में वकील इन शब्दों के जरिए जज के सामने अपनी बात रखते थे. आजादी के बाद से भी बड़ी अदालतों में जैसे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इसके जरिए जजों से वकील अपनी बात अब भी कहते हैं. 

जिला स्तर अदालत में साहब का प्रयोग
हालांकि 2006 में वकीलों की सबसे बड़ी संस्था ने ही इन शब्दों के इस्तेमाल पर ऐतराज जताया था. लेकिन वकील खुद अपने आपको इन शब्दों के इस्तेमाल से नहीं रोक पाते हैं. इस संबंध में कुछ वकील कहते हैं कि दरअसल आदत पड़ी हुई और उसे सामान्य कामकाज से निकाल पाना थोड़ा मुश्किल है. यह हो सकता है कि जस्टिस पी एस नरसिंहा की टिप्पणी के बाद वकील माई लॉर्ड या यो लॉर्डशिप जैसे शब्दों का इस्तेमाल कम से करें, छोटी अदालतों जैसे जिला स्तर या तहसील स्तर की अदालतों में वकील हुजूर या साहब शब्द का इस्तेमाल करते हैं.

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