Budaun News: बदायूं में नीलकंठ महादेव मंदिर या जामा मस्जिद! आज फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई
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Budaun News: बदायूं में नीलकंठ महादेव मंदिर या जामा मस्जिद! आज फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई

Badaun Jama Masjid Dispute: बदायूं -जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महादेव मंदिर मामले में आज सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्ष की बहस अभी पूरी नहीं हुई है. अगली तारीख मिल गई है.  

 

Badaun Jama Masjid Dispute

Budaun News: उत्तर प्रदेश की संभल जामा मस्जिद फिलहाल चर्चाओं में बनी हुई है. यहां कोर्ट के आदेश पर सर्वे भी हुआ और इसके बाद हिंसा भी भड़की. इसी बीच अब बदायूं का मामला भी कोर्ट में पहुंच गया है. मस्जिद को नीलकंठ महादेव मंदिर बताकर कोर्ट में वाद दायर किया गया है. दरअसल बदायूं की जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था. आपको बता दें कि ये मामला फिलहाल फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है. हिंदूवादी नेता मुकेश पटेल ने याचिका दायर की है. इस मामले में मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में सुनवाई हुई है. बदायूं मस्जिद विवाद में 10 दिसंबर अगली डेट मिल गई है.  मुस्लिम पक्ष की बहस अभी पूरी नहीं हुई. मस्जिद मामला बता दें कि 8 अगस्त 2022 से इस मुकदमे में सुनवाई चल रही है. 

हिंदू महासभा ने अध्यक्ष मुकेश पटेल ने कोर्ट में वाद दायर करते हुए कहा कि जहां पर शहर की जामा मस्जिद है, वहां पर पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर हुआ करता था, जिसके सबूत भी हैं, जिसके बाद अब दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए हैं.  इस मामले में आज मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में सुनवाई होगी. इंतज़ामिया कमेटी के वकील अनवर आलम ने केस को पोषित योग्य ना होने का बताते हुए खारिज किये जाने की मांग की है. जबकि हिन्दू पक्ष का कहना है कि उनके पास इसके मंदिर होने के पूरे प्रमाण हैँ और पूर्व मे आर्किलॉजिकल सर्वे हो चुके है.जिनमें मंदिर होने के प्रमाण मौजूद हैँ. इसपर सीनियर डिवीजन सिविल जज / फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट मे न्यायधीश अमित कुमार सुनवाई करेंगे.

जानिए क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला साल 2022 में सामने आया था. हिंदू महासभा के मुकेश पटेल ने दावा किया है कि कुतुबुद्दीन ऐबक के समय में यहां पर मंदिर था. तब इसे तोड़कर मस्जिद बनाया गया. 1875 से 1978 तक के गजट में इसके सबूत मौजूद हैं. जिसके बाद उन्होंने यहां पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी.  आपके बता दें कि सरकारी पक्ष और पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर मुकदमे में सरकार की ओर से बहस पूरी हो चुकी है. इसी के साथ पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश हो चुकी है.  इस मामले में शाही मस्जिद कमेटी की तरफ से भी बहस पूरी कर ली गई है. दोनों पक्षों की बहस को सुनने के बाद अब कोर्ट 3 दिसंबर के दिन अगली सुनवाई करेगा.

क्या है मुस्लिम पक्ष का दावा
बदायूं जामा मस्जिद के वकील असरार अहमद ने बताया, मस्जिद करीब 850 साल पुरानी है और वहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है.  इस मामले में उन्होंने कहा, इस मामले में हिंदू महासभा ने जो याचिका दायर की है, उसका कोई अधिकार ही नहीं है. यहां पूजा-अर्चना की अनुमति देने का कोई मामला नहीं बनता. जामा मस्जिद के आसपास के मुस्लिम समुदाय के लोग मानते है कि गुलाम वंश के सुल्तान शम्सुद्दीन  अल्तमश ने 1223 ईसवी में अपनी बेटी राजिया सुल्तान की पैदाइश पर इस मस्जिद का निर्माण कराया था.

हिंदू पक्ष का कहना
हिंदू पक्ष की तरफ से कोर्ट में ठोस सबूत पेश किए गए हैं. अब इस बात को लेकर फैसला होना है कि ये मामला सुनवाई योग्य है या नहीं. कोर्ट ने 3 दिसंबर को अगली तारीख दी है. हिंदू पक्ष का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि उन्हें निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा.

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