देश की पहली स्लीपर वंदे भारत तूफानी रफ्तार से दौड़ी, महोबा के ध्रुव ने रचा इतिहास
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देश की पहली स्लीपर वंदे भारत तूफानी रफ्तार से दौड़ी, महोबा के ध्रुव ने रचा इतिहास

Mahoba News: भारत की पहली स्लीपर वंदे भारत का ट्रायल रन करने का अवसर यूपी के महोबा निवासी लोको पायलट ध्रुव रिछारिया को मिला है. ध्रुव ने बताया कि उन्होंने  देश की अब तक सभी अत्याधुनिक ट्रेन चलाई हैं लेकिन अपने 29 साल के करियर में कभी स्लीपर वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक तकनीक से लैस और सुसज्जित ट्रेन नहीं चलाई.

देश की पहली स्लीपर वंदे भारत तूफानी रफ्तार से दौड़ी, महोबा के ध्रुव ने रचा इतिहास

Mahoba News: देश की पहली स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस का ट्रायल हो चुका है और इसका ट्रायल करने का यह दुर्लभ अवसर उत्तर प्रदेश के महोबा जिले कुलपहाड़ निवासी ध्रुव रिछारिया को मिला. ध्रुव रिछारिया सीनियर लोको पायलट हैं. स्लीपर वंदे भारत के 16 कोच चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किये जाने के बाद झांसी रेल मंडल के खुजराहो- महोबा रेल सेक्शन पर लाए गए जहां इनका ट्रायल किया गया. 

लोको पायलट ने ट्रायल का अनुभव बताया 
जिस तरह से देश की पहली स्लीपर वंदे भारत ट्रेन की खासियतें जानने के लिए आम इंसान बहुत उत्सुक हैं तो वहीं इस ट्रेन के लोको पायलट ध्रुव रिछारिया भी इसके ट्रायल को लेकर अपना अनुभव साझा करते हुए काफी उत्साहित दिखे. ध्रुव रिछारिया ने हर्ष के साथ देश की पहली स्लीपर वंदे भारत के ट्रायल को लेकर अपना अनुभव साझा किया. 

ध्रुव रिछारिया ने बताया कि खाली कोच के अलावा यात्रियों के वजन के बराबर आयरन बैग कोच में रखकर ट्रेन को 130 किमी. प्रति घंटा से चलाकर इसका ट्रायल किया गया. इस दौरान उन्होंने बफ फोर्स, एक्सीलेरेशन बाउंस फोर्स और डम्प फोर्स का भी आरडीएसओ इंजीनियरों की मौजूदगी में परीक्षण किया. 

वंदे भारत स्लीपर के ट्रायल रन के बारे में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर जानकारी दी और साथ ही ट्रेन के अंदर और बाहर की तस्वीरें साझा की. 

कैसा रहा स्लीपर वंदे भारत का ट्रायल रन
देश की पहली वंदे भारत स्लीपर का ट्रायल रन करने वाले ध्रुव रिछारिया 29 साल से लोको पायलट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्हें देश की सभी प्रतिष्ठित ट्रेन जैसे राजधानी, शताब्दी और गतिमान चलाने का अनुभव है. ध्रुव ने बताया कि उन्होंने भारत की अब तक की सभी अत्याधुनिक ट्रेन चलाई हैं लेकिन लोको पायटल के रूप में उनके 29 वर्ष के करियर में उन्होंने पहले कभी ऐसी आधुनिक तकनीक से लैस और सुसज्जित ट्रेन नहीं चलाई. 

ध्रुव के पिता भी रेलवे में रहे 
ध्रुव रिछारिया के पिता प्रेम बाबू रिछारिया अहमदाबाद में रेलवे में सीनियर बुकिंग क्लर्क के पद से रिटायर हुए हैं. इसलिए ध्रुव को बचपन से रेल चलाने का सपना था और वह बखूबी अपने सपने को जी रहे हैं. 

बता दें कि स्लीपर वंद भारत में सुरक्षा और स्वच्छता पर विशेष जोर हैं इसमें सभी अत्याधुनिक प्रबंध किये गये हैं. सभी मानकों को ध्यान में रखकर अभी ट्रायल जारी है. हालांकि अभी यह पता नहीं है किस रूट के यात्रियों को सबसे पहले स्लीपर वंदे भारत का अनुभव प्राप्त होगा. 

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