Divya Jyoti Jagrati Sansthan: 9 एकड़ में बसा है 'दिव्य ज्योति जागृती संस्थान' का शिविर, जानें क्या है इसमें खास
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Divya Jyoti Jagrati Sansthan: 9 एकड़ में बसा है 'दिव्य ज्योति जागृती संस्थान' का शिविर, जानें क्या है इसमें खास

Divya Jyoti Jagrati Sansthan: संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित हो रहे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन 'महाकुंभ 2025' में प्रत्येक दिन करोड़ों श्रद्धालु आ रहे हैं. महाकुंभ के मेला क्षेत्र में 'दिव्य ज्योति जागृती' संस्थान का 9 एकड़ में बसा शिविर लोगों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है.

Divya Jyoti Jagrati Sansthan: 9 एकड़ में बसा है 'दिव्य ज्योति जागृती संस्थान' का शिविर, जानें क्या है इसमें खास

Divya Jyoti Jagrati Sansthan: संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित हो रहे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन 'महाकुंभ 2025' में प्रत्येक दिन करोड़ों श्रद्धालु आ रहे हैं. महाकुंभ के मेला क्षेत्र में 'दिव्य ज्योति जागृती' संस्थान का 9 एकड़ में बसा शिविर लोगों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है.

सेक्टर 9 में बना है यह संस्थान

महाकुंभ नगर के सेक्टर 9 गंगेश्वर बजरंगदास चौराहे पर स्थित 'दिव्य ज्योति जागृती संस्थान' के शिविर में 33 दिनों का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन चल रहा है, जहां भव्य, दिव्य और डिजिटल महाकुंभ का संगम देखने को मिल रहा है. कैंपस नौ एकड़ से अधिक क्षेत्र में बना हुआ है.

ये है इसकी खासियत

400 x 750 फीट की बाउंड्री बॉल पर अंतर्राष्ट्रीय कारीगर कृष्ण पाल और उनकी टीम द्वारा 16 हस्तनिर्मित पेंटिंग्स बनाई गई है, और सबसे खास बात यह की पूरा पंडाल ईको-फ्रेंडली है. पंडाल को बनाने में जूट, घास और कपड़े जैसे पर्यावरण अनुकूल सामग्री का प्रयोग क‍िया गया है. इसी से 60 से अधिक ईको-फ्रेंडली कॉटेज बनाया गया है. पंडाल सिंगल-यूज़ प्लास्टिक और पीवीसी से मुक्त बनाया गया है.

क्या कहती हैं साध्वी

दिव्या ज्योति संस्थान की साध्वी रुचिका भारतीय ने बताया कि, "सरकार सुरक्षित पर्यावरण के लिए कई अभियान चला रही है. उससे जुड़ा हुआ काम हमें भी करना है. इस महाकुंभ में दिव्या ज्योति संस्थान की अनूठी पहल ने इस कुंभ को ग्रीन कुंभ बना दिया गया है. जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करता रहा है."

इको फ्रेंडली है यह परिसर

उन्होंने बताया कि " दिव्य ज्योति संस्थान का पूरा पंडाल नौ एकड़ में बनाया गया है. यहां पर जो फ्लेक्स भी बनाए गए हैं, उसमें जूट, घास आद‍ि चीजों का प्रयोग किया गया है, जिससे पर्यावरण प्लास्टिक फ्री और सुरक्षित हो सके. प्रकृति के साथ मिलकर ही मानव अपने जीवन में उन्नति कर सकता है, प्रकृति नहीं तो कुछ नहीं है."

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