Maha Kumbh 2025: निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी रथ पर सवार होकर सुबह सात बजे अपने सैकड़ों शिष्यों और शिष्याओं के साथ महाकुंभ में स्नान के लिए पहुंचे. महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाकुंभ में अपनी शिष्या एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेल पॉवल को लेकर सुर्खियों में हैं, जो महाकुंभ में स्नान के लिए उन्हीं के अखाड़े में ठहरी हैं.
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Prayagraj Maha Kumbh 2025: मकर संक्रांति के अवसर पर सुबह सात बजे निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी रथ रुपी वाहन पर सवार होकर अपने सैकड़ों शिष्यों और शिष्याओं के साथ महाकुंभ में संगम में स्नान करने के लिए निकले. त्रिवेणी संगम पर अमृत स्नान को लेकर बोले कि "यह अनुभव शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. अमृत स्नान, साधु-संतों की वर्षों की तपस्या, साधना, प्रेम और उनकी गहरी श्रद्धा का प्रतीक है." उन्होंने कहा कि गंगा का जल अमृत समान है. जब साधु-संत गंगा में डुबकी लगाते हैं और अपने इष्ट महादेव, मां गंगा और सूर्यदेव का पूजन करते हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है कि सभी देवता उनके समीप हैं. यह क्षण उनके साधक जीवन का सबसे बड़ा पर्व है.
"लॉरेन पावेल हैं सनातन धर्म की जिज्ञासु शिष्या"
महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी और अपनी शिष्या लॉरेन पावेल को लेकर काफी सुर्खियों में हैं. महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने लॉरेन पॉवल को आध्यात्मिक नाम "कमला" दिया है. लॉरेन वर्तमान में महाकुम्भ में स्वामी जी के शिविर में ही ठहरी हैं.
स्वामी कैलाशानंद ने उनके बारे में कहा, "लॉरेन अहंकार से मुक्त हैं और अपने गुरु के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं. उनके सभी सवाल सनातन धर्म से जुड़े हैं और उनके उत्तर से वे अत्यधिक संतुष्ट और प्रसन्न होती हैं." वह सनातन धर्म और अपने गुरु के विषय में और अत्यधिक जानना चाहती हैं.
"सनातन धर्म का वैश्विक वैभव"
स्वामी जी ने मीडिया की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उनके माध्यम से सनातन धर्म का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंच रहा है. उन्होंने कहा कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सुदूर विश्व तक पहुंचाने और सनातन की आध्यात्मिक शक्ति को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है.
कौन हैं स्वामी कैलाशानंद गिरी
स्वामी कैलाशानंद को 2021 में निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर आसीन किया गया था. कैलाशानंद गिरी का जन्म 1 जनवरी 1976 को बिहार के जमुई जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. बचपन से ही उनकी आध्यत्म में रूचि थी और एकांतवास पसंद था. घरबार छोड़कर संतों की संगति में रहते हुए उन्होंने अलग-अलग आश्रमों में वेद, पुराण, योग और उपनिषद का ज्ञान प्राप्त किया. अग्नि अखाड़े के वर्तमान अध्यक्ष, पूज्य बापू गोपालानंद ब्रह्मचारी ने कैलाश नंद ब्रह्मचारी को अपना शिष्य बनाया था और उन्हें अग्नि अखाड़े का सचिव बनाया था. कैलाशानंद ब्रह्मचारी के नेतृत्व में, अग्नि अखाड़े ने कई कुंभ में भाग लिया. 2018 में, अग्नि अखाड़े के प्रमुख श्री गोपालानंद के निधन के बाद सभी आश्रमों की जिम्मेदारी कैलाशानंद स्वामी को सौंप दी गई. सावन और नवरात्रों के दिनों में स्वामी कैलाशानंद गिरि पूरे महीने विशेष पूजा अर्चना करते हैं, जिसमें लगभग एक ही आसन में बैठकर वे 22 से 24 घंटे तक कठिन तप करते हैं.
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