Lakhimpur kheri Latest News: लखीमपुर खीरी और आप-पास के जिले के लोगों के लिए अच्छी खबर है. आपको बता दूं कि सीएम योगी ने महाशिवरात्री से पहले 2850 करोड़ की सौगात दी है. इससे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा.
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Lakhimpur Hindi News: एक ओर जहां प्रयागराज में करोड़ों श्रद्धालु महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लखीमपुर खीरी के कुंभी में निवेश का महाकुंभ देखने को मिल रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को बलरामपुर चीनी मिल लिमिटेड द्वारा 2,850 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले देश के पहले बायोपॉलिमर संयंत्र का शिलान्यास किया.
सीएम योगी ने कहा कि यह संयंत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प को साकार करेगा. इस प्लांट में बनने वाली बोतल, प्लेट, कप और कैरी बैग पूरी तरह से जैव-नष्ट हो सकेंगे और महज 3 से 6 महीनों में मिट्टी में घुलकर नष्ट हो जाएंगे.
भारत का पहला इंटीग्रेटेड बायोपॉलिमर संयंत्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे भारत का पहला इंटीग्रेटेड बायोपॉलिमर संयंत्र बताया. इस दौरान कहा कि यह परियोजना हजारों युवाओं को रोजगार देने के साथ-साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद करेगी. यूपी सरकार प्लांट के साथ स्किल डेवलपमेंट के लिए एमओयू करेगी, ताकि स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें सीधे रोजगार से जोड़ा जा सके.
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
सीएम योगी ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण असमय बारिश और सूखे की समस्या बढ़ रही है. इसे ध्यान में रखते हुए यूपी सरकार जीरो लिक्विड डिस्चार्ज तकनीक को अपना रही है, जिससे नदियों और नहरों को सुरक्षित रखा जा सके. यह भी बताया कि यूपी में अब तक 45 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव आ चुका है, जिसमें से 15 लाख करोड़ रुपये का निवेश धरातल पर उतर चुका है और 3 से 5 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं. इससे 7 से 8 लाख युवाओं को नौकरी मिल चुकी है.
पाली लैक्टिक एसिड आधारित होगा बायोप्लास्टिक संयंत्र
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह संयंत्र पाली लैक्टिक एसिड (PLA) आधारित बायोप्लास्टिक का उत्पादन करेगा. इससे पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद जैसे डिस्पोजेबल बोतलें, खाद्य ट्रे, कटलरी, आइसक्रीम कप और कैरी बैग बनाए जाएंगे. इन उत्पादों की खासियत यह होगी कि ये 3 से 6 महीनों में स्वयं ही मिट्टी में घुलकर नष्ट हो जाएंगे, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लग सकेगी.
इसके अलावा, यह संयंत्र शून्य-तरल अपशिष्ट (Zero Liquid Discharge) सिद्धांत पर काम करेगा, जिससे कोई भी हानिकारक अपशिष्ट नदियों या नालों में नहीं बहेगा.
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