Lok Sabha Election 2024: चुनावी मैदान में इस बार नई पीढ़ी ने मोर्चा संभाला है यानी कई ऐसी लोकसभा सीट है जहां दिग्गज नेताओं के बेटे बेटी या पोता पोती ने उम्मीदवार बनकर मोर्चा अपने हाथों में संभाला है. आइए इस बारे में और जानें.
अरविंद राजभर इस बार घोसी लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाए गए हैं. सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के अरविंद बड़े बेटे हैं जिन्हें बीजेपी का समर्थन है. मऊ के दौरे पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हुए अरविंद को जिताने की भी अपील की थी. वहीं, ओम प्रकाश राजभर गाजीपुर की जहूराबाद सीट से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं.
शशांक मणि त्रिपाठी को बीजपी ने देवरिया से उतारा है. शशांक के पिता का नाम प्रकाश मणि त्रिपाठी है जो दो बार इसी सीट से सांसद रह चुके हैं. देवरिया के सम्मानित परिवारों में त्रिपाठी परिवार की गिनती की जाती है. गोरखपुर के जिलाधिकारी पद पर शशांक के बाबा रह चुके हैं.
सपा द्वारा शिवपाल यादव का टिकट बदलकर बदायूं लोकसभा सीट से आदित्य यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. आदित्य शिवपाल यादव के बेटे हैं और पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. बदायूं सपा की परंपरागत सीट माना जाता रहा है. मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव ने इसी सीट से 2009 और 2014 में सांसदी जीत चुके हैं. हालांकि 2019 में सपा सीट गंवा बैठी पर 1996 से 2014 तक वही इस सीट से जीतती रही है.
श्रेया वर्मा को इस बार चुनाव मैदान में सपा ने उतारा है, उन्हें गोंडा से टिकट मिला है. दरअसल, श्रेया सपा फिर कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे साथ ही केंद्रीय मंत्री रह चुके बेनी प्रसाद वर्मा की पोती हैं यानी तीसरी पीढ़ी में वो राजनीति में एंट्री ले रही है. गोंडा सीट से ही बेनी 2009 में सांसद रह चुके हैं और 2014 में चुनाव लड़ हार गए.
प्रवीण निषाद फिर से गोरखपुर के पास स्थित संत कबीरनगर लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी बनाए गए हैं. निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के प्रवीण बेटे हैं और बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे हैं. वहीं उनके पिता संजय निषाद की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर है. दरअसल, निषाद पार्टी का इस सीट पर अच्छा प्रभाव रहा है और प्रवीण निषाद को 2019 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट से जीत मिली.
इकरा हसन को सपा ने इस बार कैराना से प्रत्याशी बनाया है. इकरा हसन सपा विधायक नाहिद हसन की बहन हैय नाहिद कैराना विधानसभा सीट से फिलहाल विधायक हैं और उनके परिवार का कैराना सीट पर अच्छा प्रभाव माना जाता है.
अभी मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से विधायक चंदन चौहान को राष्ट्रीय लोकदल ने बिजनौर से प्रत्याशी बनाया है. 2009 में बिजनौर से चंदन के पिता सांसद रह चुके हैं जिनके दादा नारायण सिंह चौहान सन् 1979 में यूपी के उप मुख्यमंत्री के पद पर भी रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव से पहले ही सपा गठबंधन को छोड़ आरएलडी NDA में शामिल हो गया.
आनंद गौड़ को इस बार बीजेपी ने बहराइच से प्रत्याशी बनाया है. जोकि बीजेपी के पुराने नेता अक्षयबर लाल गौड़ के पुत्र हैं और फिलहाल, अक्षयबर अभी बहराइच से ही सांसद हैं. पार्टी ने उनका टिकट काटकर बेटे पर भरोसा किया है. 2019 में इस सीट से अक्षयबर को 5.25 लाख से अधिक मत मिले थे.
अक्षय यादव तीसरी दफा फिरोजाबाद लोकसभा सीट से उतारे गए हैं. सपा महासचिव रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय इससे पहले दो बार यानी 2014 और 2019 में भी चुनाव लड़कर इसी सीट से 2014 में जीत चुके हैं. 2019 में इस सीट से उन्होंने बीजेपी के डॉ. चन्द्र सेन जादौन से लगभग 28,000 वोटों से हार गए.