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चातुर्मास कब से शुरू, 4 महीनों में किन नियमों का करें पालन और कौन सी गलतियां न करें?

Chaturmas 2024 Date: चातुर्मास में किसी भी शुभ काम को करने की मनाही होती है. इस दौरान शादी का भी कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता. 2024 में चातुर्मास कब शुरू होगा और कब खत्म होगा. आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं.

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Chaturmas 2024 Date: चातुर्मास शब्द का अर्थ है चार महीने. हिंदू धर्म में, चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलने वाले चार महीनों की एक महत्वपूर्ण अवधि है.  ये अवधि लगभग चार महीने ( जुलाई - अगस्त और सितंबर - अक्टूबर ) की होती है. 

प्रकृति की शुद्धिकरण अवस्था

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प्रकृति की शुद्धिकरण अवस्था

माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान प्रकृति स्वयं ही शुद्धिकरण की अवस्था में होती है. इस समय हल्की धूप और कम बारिश का मौसम होता है, जो ध्यान और आत्मनिरीक्षण के लिए उपयुक्त माना जाता है. लोग सात्विक भोजन करते हैं, जमीन पर सोते हैं और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं. इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है.

कब शुरू होगा चातुर्मास?

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कब शुरू होगा चातुर्मास?

सात्विक भोजन और शांत जीवनशैली चातुर्मास के दौरान पाचन तंत्र को मजबूत करने और शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है.  2024 में चातुर्मास 17 जुलाई से शुरू होकर 12 नवंबर तक चलेगा.  ये चार महीने की अवधि है जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक है.

चातुर्मास 2024 की महत्वपूर्ण तिथियां

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चातुर्मास 2024 की महत्वपूर्ण तिथियां

चातुर्मास 2024 की 5 तिथियां महत्वपूर्ण हैं. पहली तिथि है देवशयनी एकादशी जो 17 जुलाई 2024 (रविवार) को है. दूसरी कर्णावती एकादशी जो 15 अगस्त 2024 (मंगलवार) को है. तीसरी तिथि प्रोपोत्सव एकादशी जो 23 सितंबर 2024 (शनिवार) है. चौथी तिथि दीपावली जो 4 नवंबर 2024 (सोमवार) है. पांचवीं तिथि देवोत्थान एकादशी जो 12 नवंबर 2024 (रविवार) को है.

चातुर्मास का महत्व

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चातुर्मास का महत्व

चातुर्मास को आत्म-अनुशासन और आध्यात्मिक विकास का समय माना जाता है. इस दौरान लोग व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और ध्यान, योग करते हैं. इसे भगवान विष्णु के विश्राम काल के रूप में देखा जाता है.

भगवान विष्णु की शयन अवधि

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भगवान विष्णु की शयन अवधि

मान्यता है कि इस अवधि में भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर शयन करते हैं. इसलिए, इस अवधि के दौरान भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है. लोग नियमित रूप से पूजा करते हैं, भजन गाते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

चातुर्मास में क्या करें?

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चातुर्मास में क्या करें?

कई लोग पूरे चातुर्मास या कुछ विशिष्ट दिनों में व्रत रखते हैं. व्रत में सात्विक भोजन करना, शराब और मांस का सेवन नहीं करना शामिल है. चातुर्मास के दौरान लोग रामायण, महाभारत, भागवत गीता आदि धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं. चातुर्मास के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने का विशेष महत्व होता है. इस अवधि में कुछ पहलुओं को अपनाकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.

गलती से ना करें ये काम

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गलती से ना करें ये काम

मांस, मछली, अंडे, प्याज और लहसुन का सेवन नहीं किया जाता है. शराब पीना और धूम्रपान करना वर्जित है. विवाह, मुंडन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. लंबी यात्रा करने से भी आम तौर पर बचा जाता है. ये अवधि अहिंसा और सदाचार का पालन करने का समय माना जाता है. किसी भी प्रकार का अत्याचार या हिंसा वर्जित है.

हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण

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हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण

चातुर्मास हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि है जो आध्यात्मिक विकास, ईश्वर की भक्ति और शारीरिक शुद्धि पर केंद्रित होती है. ये समय शांतचित्त होकर जीवन को नई दिशा देने का अवसर प्रदान करता है. भले ही आप सभी नियमों का पालन न करें, फिर भी आप इस अवधि में सात्विक भोजन करने, ध्यान करने और धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने का प्रयास कर सकते हैं.

Disclaimer

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Disclaimer

यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.