Rajiv Gandhi Birth Anniversary: आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती है. ये तारीख हर साल पूरे देश में 'सद्भावना दिवस' के रूप में मनाई जाती है. इस मौके पर आज हम आपको बताएंगे कि कैसे अमेठी की राजनीति में राजीव गांधी की एंट्री हुई और कैसे चुनाव के अगले ही दिन एक घटना ने सबकुछ बदल दिया?
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Rajiv Gandhi Birth Anniversary: देश के 7वें प्रधानमंत्री राजीव गांधी का आज जन्मदिन है. इस दिन को उनकी याद में पूरा देश सद्भावना दिवस मनाता है. राजीव गांधी एक ऐसा नाम है, जो भारत ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी गूंजता रहा है. देश के इतिहास में अहम स्थान रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था. कहा जाता है कि इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के सबसे बड़े बेटे राजीव गांधी को राजनीति पसंद नहीं थी. वह अपना करियर एविएशन में बनाना चाहते थे, लेकिन जैसा वह चाहते थे वैसा हुआ नहीं. उन्हें राजनीति में अपना कदम रखना पड़ा. पीएम रहते हुए राजीव गांधी ने टेक्नोलॉजी और इकोनॉमी में सुधार लाने के साथ ही कई हैरान करने वाले फैसले लिये. जिसने देश की तस्वीर ही बदल दी. आज हम बात करेंगे कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी की. जहां राजीव गांधी की एंट्री हुई और कैसे चुनाव के अगले ही दिन एक घटना ने सबकुछ बदल दिया?
कैसे पड़ी अमेठी में गांधी परिवार की नींव?
अमेठी में गांधी परिवार की एंट्री 1977 के चुनाव में हुई. जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी यहां से लोकसभा चुनाव लड़ने पहुंचे, लेकिन जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह ने उन्हें शिकस्त दे दी. हालांकि, 1980 के आम चुनाव में संजय गांधी ने बाजी पलट दी और गांधी परिवार की नींव अमेठी में रख दी, लेकिन उसी साल संजय गांधी एक विमान दुर्घटना के शिकार हो गए.
कैसे हुई राजीव गांधी की राजनीति में एंट्री?
संजय गांधी की मृत्यु के बाद अमेठी की सीट खाली हो गई. जिसके बाद अमेठी की राजनीति में एंट्री हुई राजीव गांधी की, जो छोटे भाई के निधन के बाद खाली सीट पर चुनाव लड़ने पहुंचे थे. 1981 के उपचुनाव में राजीव गांधी को दो लाख से ज्याद वोट मिले और उन्होंने यहां से शानदार जीत हासिल की. इसके बाद 1984, 1989 और 1991 के चुनाव में लगातार जीत हासिल की.
वोटिंग के अगले दिन हत्या
1991 का चुनाव राजीव गांधी का आखिरी चुनाव होगा ये किसी को मालूम नहीं था. 1991 के आम चुनाव के दौरान 20 मई को अमेठी में मतदान हुआ और कांग्रेस की ओर से मैदान में राजीव गांधी थे. इसके अगले ही दिन यानी 21 मई को तमिलनाडू के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली आयोजित हुई. इस दौरान राजीव गांधी, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के आत्मघाती हमले के शिकार हो गए. उसी रैली के दौरान धनु नाम की आत्मघाती हमलावर ने उनकी हत्या कर दी.
जनता ने लुटाया था प्यार
पूरी दुनिया को हिला देने वाली इस घटना के बाद वोटों की गिनती हुई तो राजीव गांधी 53.23 फीसदी वोटों से जीते, जबकि बीजेपी के रवींद्र प्रताप सिंह को 21.35 प्रतिशत वोट मिले. यानी इस बार भी अमेठी की जनता ने उनपर खूब प्यार बरसाया था, लेकिन दुर्भाग्य ये था कि ये देखने के लिए राजीव गांधी ही दुनिया को अलविदा कह चुके थे. वैसे तो अमेठी से संजय गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी सांसद चुने गए, लेकिन जो प्यार जनता ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिया वह गांधी परिवार के किसी दूसरे सदस्य को कभी नहीं मिला.
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