Wife of Lord Surya: जानिए कौन हैं देवी उषा और प्रत्यूषा जिसकी आराधना के बिना छठ पूजा का कठिन व्रत पूरा नहीं हो सकता है.
उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल और पूर्वोत्तर में मनाए जाने वाले इस महापर्व को लेकर वैदिक संस्कृति में मान्यता है कि सूर्य की पत्नियां उषा और प्रत्यूषा हैं जो सूर्य की शक्तियों का मुख्य स्रोत हैं.
छठ में सूर्य के साथ उनकी दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना करने का विधान है. संध्याकाल अर्घ्य में सूर्य की अंतिम किरण प्रत्युषा को अर्घ्य दिया जाता है और प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण उषा को अर्घ्य दिया जाता है.
छठ पर्व का शुभारंभ कद्दू भात या नहाय खाय से शुरू हो जाता है और कद्दू भात यानी लौकी की सब्जी के साथ अरवा चावल का भोजन नहाकर किया जाता है. भोजन पर गंगा या पवित्र नदी या सरोवर में स्नान के लिए जाते हैं.
छठ पूजा केवल एक पर्व ही नहीं बल्कि इसे महापर्व कहते हैं. विधि-विधान से यह महापर्व संपूर्ण आपदा से मुक्ति व मनोवांछित फलों की प्राप्ति का रास्ता खोलता है.
पंचांग के अनुसार छठ पूजा के पर्व की शुरुआत हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से हो जाती है. वहीं, सप्तमी तिथि पर इस त्योहार का समापन हो जाता है. इस तरह इस बार छठ महापर्व 05 नवंबर से लेकर 08 नवंबर तक है.
छठ पूजा के शुभ मौके पर सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा, प्रत्युषा की सभी भक्त विधिपूर्वक उपासना करने करते हैं. मान्यता है कि पूजा करने से भक्त पर छठी मैया की कृपा बरसती है.
सनातन शास्त्रों की मानें तो छठी मैया को संतानों की रक्षा करने वाली देवी है जिनकी पूजा के दिन सभी नियमों का पालन करना चाहिए जिससे मां भक्तों पर कृपा करती हैं.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.