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Diwali 2024: दिवाली की रात क्यों बनाते हैं जिमीकंद की सब्जी, मां लक्ष्मी से जुड़ी मान्यता

हर साल बड़े धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. दीपों के इस उत्सव को लेकर जहां कई कथाएं प्रचलित हैं, वहीं कुछ मान्यताएं और नियम भी हैं. ऐसे ही दिवाली की रात जिमीकंद बनाने की परंपरा भी है. आखिर ऐसा क्यों है जानिए.

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Diwali 2024: वैसे तो दिवाली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन जहां हर घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और मिठाईयां खिलाई जाती हैं. वैसे ही दीपोत्सव की रात जिमीकंद की सब्जी खाने की परंपरा भी है. जिमीकंद, सूरन के नाम से भी फेमस है. 

जिमीकंद की सब्जी

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जिमीकंद की सब्जी

जिमीकंद या सूरन की साधारण सी सब्जी दिवाली के मौके पर बेहद खास हो जाती है. ऐसा नहीं है कि पूरे भारत में इसकी सब्जी दिवाली की रात बनाई जाती है, लेकिन उत्तर भारत के कई राज्यों में ये साधारण सी सब्जी दीपोत्सव की रात बनाई जाती है.

दिवाली पर क्यों है खास?

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दिवाली पर क्यों है खास?

दिवाली की रात इस जड़ वाली सब्जी को खाने का रहस्य समृद्धि और विकास से जुड़ा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि जिमीकंद कटाई के बाद भी पनपती रहती है. ये बहुतायत का प्रतिनिधित्व करती है. 

देवी लक्ष्मी का सम्मान

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देवी लक्ष्मी का सम्मान

अगर जिमीकंद के जड़ का कुछ हिस्सा मिट्टी में रह जाता है, तो ये कटाई के बाद भी उग आता है, जो समृद्धि और धन के अंतहीन चक्र का प्रतीक है. ये गुण दिवाली के दौरान बहुत मूल्यवान माने गए हैं. यह माता लक्ष्मी का सम्मान करते हैं.

कहां-कहां बनती है सब्जी?

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कहां-कहां बनती है सब्जी?

भारत के कई हिस्सों में खास तौर से पूर्वी यूपी और बिहार जैसे इलाकों में दिवाली की रात जिमीकंद की सब्जी बनाई जाती है. मान्यता है कि इस सब्जी को दिवाली की रात खाने से घर में धन, सुख और सौभाग्य आता है. 

देवी को लगाते हैं भोग

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देवी को लगाते हैं भोग

दिवाली की रात देवी लक्ष्मी को इसका भोग लगाने की भी मान्यता है. जिससे देवी से इसका संबंध और भी स्पष्ट हो जाता है. हालांकि, सूरन का महत्व सिर्फ सांस्कृतिक ही नहीं, बल्कि इसे खाने से स्वास्थ्य लाभ भी होता है.

जिमीकंद खाने के फायदे

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जिमीकंद खाने के फायदे

जिमीकंद या सूरन एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और कई अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के साथ-साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है. जो हार्ट के लिए अच्छा होता है. यह पाचन में सहायता करने और शरीर में सूजन को कम करने में सहायक है.

क्या कहता है आयुर्वेद?

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क्या कहता है आयुर्वेद?

आयुर्वेद के मुताबिक, जिमीकंद, रतालू, ओल या सूरन पाचन संबंधी समस्याओं के लिए एक प्राकृतिक उपचार है. इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ये वेट मैनेज करने में भी अहम है.

जिमीकंद खाने के तरीके

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जिमीकंद खाने के तरीके

जिमीकंद खाने के कई तरीके हैं. यूपी और बिहार के कायस्थ, ब्राह्मण समुदाय दिवाली की रात खासतौर पर जिमीकंद करी बनाते हैं. कुछ परिवार जिमीकंद का भरता बनाना पसंद करते हैं, जो चावल या रोटी के साथ परोस सकते हैं. पारंपरिक व्यंजनों के अलावा, जिमीकंद को भुना, तला या कुरकुरे चिप्स में भी बनाया जा सकता है.

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डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.