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Mahashivratri 2025: काशी में महाशिवरात्रि पर कुंभ जैसा मेला, हल्दी-संगीत से शिव-पार्वती विवाह, गौना-विदाई तक नोट कर लें सारी तिथियां

महाशिवरात्रि का दिन शिव भक्तों के लिए बेहद खास है. यह पर्व देशभर में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. इस मौके पर शिव-पार्वती का विवाह होगा. जानिए पूरी डिटेल

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Mahashivratri 2025: शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि सबसे अहम माना जाता है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, हर साल महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से महाशिवरात्रि फरवरी या मार्च में होती है.

भोलेनाथ की पूजा

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भोलेनाथ की पूजा

महाशिवरात्रि पर लोग व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. इस दिन जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी होता है. इस दिन हरिद्वार, वाराणसी और उज्जैन जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थल पर लाखों की संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं.

समरसता का संदेश

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समरसता का संदेश

गंगा स्नान कर महादेव के दर्शन करते हैं. यह पर्व न केवल आध्यात्मिक चेतना का संचार करता है, बल्कि समाज में एकता और समरसता का भी संदेश देता है. आपको बता दें कि काशी में बसंत पंचमी से बाबा विश्वनाथ के विवाह उत्सव की शुरुआत हो जाती है.

कब है महाशिवरात्रि?

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कब है महाशिवरात्रि?

इस साल महाशिवरात्रि के लिए फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि​ 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से लेकर 27 फरवरी को सुबह 08:54 बजे तक है. इस बार उदयातिथि और पूजा ​मुहूर्त दोनों को देखा जाए तो महाशिवरात्रि 26 फरवरी दिन बुधवार को है. 

शिव-पार्वती विवाह

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शिव-पार्वती विवाह

महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती का विवाह होगा. 7 मार्च को मां गौरा की हल्दी की रस्म होगी. 8 मार्च को मंगल शगुन, 9 मार्च को गौना के लिए बाबा का गौरा सदनिका आगमन और 10 मार्च को पालकी यात्रा निकाली जाएगी.

होली खेलने की परंपरा

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होली खेलने की परंपरा

उस दिन ही महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन होगा. इस दिन पर महादेव की पूजा, रुद्राभिषेक और व्रत का खास महत्व है. माघ मास शुक्लपक्ष की वसंत पंचमी से फाल्गुन मास पूर्णिमा तक हर 10-10 दिनों में अलग-अलग रंगों से होली खेलने की परंपरा है.

भव्य शिव बारात

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भव्य शिव बारात

महाशिवरात्रि को शिव-गौरी की पूजा करने से पति-पत्नी के जीवन में सुख और समृद्धि आती है. इस दिन भक्ति-भाव से पूजा करने पर कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है. सुहागन महिलाओं के लिए यह दिन खास है, इसलिए उन्हें माता पार्वती को संपूर्ण श्रृंगार सामग्री अर्पित करनी चाहिए.

कैसे खुश होंगे महादेव?

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कैसे खुश होंगे महादेव?

यह वही पावन दिन है जब भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. इस शुभ दिन पर रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र जप, और शिवलिंग पर जल व बेलपत्र अर्पित कर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं.

पूजा विधि और व्रत नियम

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पूजा विधि और व्रत नियम

इस दिन भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन महादेव और मां पार्वती की पूजा सुबह और शाम दोनों समय करनी चाहिए. पूजा के दौरान महादेव और मां पार्वती को वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है.

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डिस्क्लेमर: लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.