Shardiya Navratri 2023 Day 3: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है...नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने का विधान है...मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है...
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Navratri 3rd Day 2023: हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिन शक्ति की साधना के लिए बेहद शुभ माने गए हैं. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से पूजा करता है उस पर मां भगवती दुर्गा पूरे साल अपनी कृपा बरसाती हैं. पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व इस साल आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानि 15 अक्टूबर 2023, रविवार के दिन प्रारंभ हो गया है जो 24 अक्टूबर 2023, मंगलवार तक मनाया जाएगा. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. 17 अक्टूबर को मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी.
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17 अक्टूबर 2023-मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन)
चंद्रघंटा: नवराात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा का विधान है. मान्यता है कि माथे पर चंद्रमा को धारण करने वाली दुर्गा के इस स्वरूप की पूज से व्यक्ति हमेशा बुरी बलाओं से बचा रहता है.
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मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का स्वरूप हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा व धनुष धारण किए हुए हैं. मां के माथे पर अर्द्ध चंद्र विराजमान है जिसके चलते उन्हें चंद्रघंटा (Chandraghanta) नाम मिला है. राक्षसों का विनाश करने वाली मां चंद्रघंटा भक्तों के लिए शांत और सौम्य व्यक्तित्व की हैं. माता चंद्रघंटा को चंद्रखंड, चंडिका और रणचंडी के नाम से भी जाना जाता है.
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनें. फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान-स्मरण करें. माता चंद्रघटा की प्रतिमा को लाल या पीले कपड़े पर रख दें. मां चंद्रघंटा को कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं. फिर मां की विधिपूर्वक पूजा करें. मां चंद्रघंटा को पीला रंग प्रिय है. अतः उन्हें पीले रंग के फूल चढ़ाएं. मां चंद्रघंटा देवी को दूध से बनी मिठाई और खीर अत्यधिक प्रिय है. ऐसा करने से मां चंद्रघंटा आप पर अपनी कृपा बरसाएंगी. पूजा के दौरान देवी चंद्रघटा की आराधना करें और मंत्रों का पाठ करें. दुर्गा सप्तशती और चंद्रघंटा माता की आरती का पाठ करें. माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है. शाम के समय में भी माता की आरती करें और ध्यान करें.
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मां चंद्रघंटा के मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
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