महाकुंभ की रौनक इन दिनों प्रयागराज में देखते बन रही है. इसमें पूरी दुनिया से साधु-संत के साथ ही करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है. ऐसे में आज हम उन संन्यासियों का जिक्र करेंगे, जिन्होंने अच्छी खासी कमाई छोड़कर संन्यास ले लिया. जानिए
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ की रौनक है. यहां दुनियाभर से साधु-संत और श्रद्धालु पहुंचे हैं. कई ऐसे साधु-संत और सन्यासी हैं, जिन्होंने जीवन में उन उपलब्धियों को हासिल की है. जिसे हर कोई हासिल करना चाहता है, लेकिन कुछ वक्त के बाद उन्होंने अध्यात्म का रास्ता चुन लिया. आइए जानते हैं इन संन्यासियों के बारे में.
अभय पुरी लंबी कद-काठी के हैं. वह जयपुर के ही डुंगरी इलाके से आते हैं. अभय 11 साल तक वन विभाग में रेंजर की पोस्ट पर तैनात रहे. उन्हें हर महीने 90 हजार रुपए सैलरी मिलती थी. उनके परिवार में एक बेटा और बेटी हैं.
अभय पुरी की बेटी की शादी हो चुकी है. वह सेटल है. बेटा योग में मास्टर डिग्री हासिल कर चुका है. उनका कहना है मैं अपने गुरु महाराज के पास आया और संन्यास की बात कही. सबसे पहले गुरु जी ने यही कहा कि जब तक तुम्हारी पत्नी नहीं कहेगी तब तक संन्यास नहीं दिलवाया जा सकता.
आशुतोषानंद गिरि महाराज निरंजनी अखाड़े में महामंडलेश्वर हैं. 2014 में कोलकाता की स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी में न्याय विभाग में प्रोफेसर थे. उस वक्त सैलरी 75 हजार रुपए महीने थी. एक साल नौकरी के बाद अध्यात्म का रास्ता चुन लिया.
जूना अखाड़े में इस समय आईआईटियन बाबा की खूब चर्चा है. इनका नाम अभय सिंह है. आईआईटी बॉम्बे से एयरो स्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. पहले उन्होंने कोचिंग में बच्चों को फिजिक्स पढ़ाया. इसके बाद फोटोग्राफी में आ जाए. अभय ने डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री भी हासिल की.
अग्नि अखाड़े के अरविंदानंद गिरि की कहानी एकदम अलग है. गाजियाबाद में जन्म हुआ. यहीं पढ़ाई की. मैकेनिकल से बीटेक किया. 80 के दशक में इंजीनियरिंग की पढ़ाई में जबरदस्त स्कोप था, इसलिए तुरंत नौकरी लग गई.
बाबा सोमेश्वर आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं. वह एयरफोर्स में ग्राउंड स्टाफ में अफसर रहे. नौ साल की नौकरी के बाद कैनरा बैंक में असिस्टेंट मैनेजर बन गए, लेकिन उनका मन वहां भी नहीं लगा. 55 साल की उम्र में गृहस्थ जीवन त्याग दिया.
निरंजनी अखाड़े के व्यासानंद गिरि को अखाड़ा परिषद ने इसी 12 जनवरी को महामंडलेश्वर के पद पर आसीन किया. व्यासानंद का पहले टॉम नाम था. वह 75 साल के है. एपल की को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल इनके पट्टाभिषेक कार्यक्रम में शामिल हुई थीं.
व्यासानंद गिरि अमेरिका के एयरफोर्स में डिप्टी डायरेक्टर ऑपरेशंस रहे थामस मैरिट नाल्स के बेटे हैं. 15 साल की उम्र से आदिशंकराचार्य के सिद्धांतों पर अमल करने लगे थे. महर्षि महेश योगी के सानिध्य में आने के बाद खुद को घर-परिवार से विरक्त कर लिया था.
बाबा मोक्षपुरी का नाम माइकल है. वह अमेरिका की सेना में जवान थे. एक मोड़ ऐसा आया कि उन्होंने महसूस किया कि जीवन में स्थायित्व नहीं है. फिर उन्होंने मोक्ष की तलाश में आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की. 2000 में बाबा मोक्षपुरी ने परिवार के साथ भारत यात्रा की और भारतीय संस्कृति से प्रभावित हो गए. फिर बेटे के असमय निधन के बाद अध्यात्म की ओर मुड़ गए और अब जूना अखाड़े से जुड़े हैं.