यूपी उपचुनाव में हार के बाद चलेगा अखिलेश का हंटर, सपा संगठन में बड़े पैमाने पर छंटनी की तैयारी
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यूपी उपचुनाव में हार के बाद चलेगा अखिलेश का हंटर, सपा संगठन में बड़े पैमाने पर छंटनी की तैयारी

UP Politics News: यूपी उपचुनाव में मिली हार और 2027 विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में बड़ी  छंटनी की तैयारी है. पार्टी सूत्रों की मानें तो सपा अपने निष्क्रिय पदाधिकारी को बाहर का रास्ता दिखाएगी. इसको लेकर हाईकमान मंथन कर रहा है. 

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UP Politics: यूपी उपचुनाव में मिली हार और 2027 विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में बड़ी  छंटनी की तैयारी है. पार्टी सूत्रों की मानें तो सपा अपने निष्क्रिय पदाधिकारी को बाहर का रास्ता दिखाएगी. इसको लेकर हाईकमान मंथन कर रहा है. सपा ने पदाधिकारियों से PDA रणनीति के तहत गांव-गांव अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं लेकिन ऐसे कई जिलें हैं जहां पदाधिकारी इन पर खरे नहीं उतर हैं. ऐसे पदाधिकारियों की पार्टी से छुट्टी करने की तैयारी की जा रही है.

78 जिलों में बदलाव की तैयारी
सूत्रों की मानें तो 78 जिलों के पार्टी संगठन में भी बड़े बदलाव हो सकते हैं. कहा जा रहा है कि पार्टी केवल उन कार्यकर्ताओं को मौका देना चाहती है जो पार्टी के लिए एक्टिव हैं. सक्रिय कार्यकर्ताओं को कार्यकारिणी में स्थान मिलेगा. सूत्रों के मुताबिक ऐसे पदाधिकारी के कामकाज का मूल्यांकन किया जा रहा है. जो पैमानों पर फिट नहीं बैठेंगे, उन पर जल्द ही इन पर गाज गिर सकती है. समाजवादी पार्टी पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले पर काम कर रही है.

पीडीए फॉर्मूला
समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले पीडीये का फॉर्मूला अपनाया था.सपा का यह फॉर्मूला काम कर गया. जिसकी बदौलत पार्टी ने यूपी में बीजेपी के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की थी. पीडीए के सफल प्रयोग से समाजवादी पार्टी इसको विस्तार देने में जुटी है. इसके लिए पार्टी ने PDA रणनीति के तहत गांव-गांव अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. लेकिन कई जगह ऐसी हैं जहां पार्टी के पदाधिकारियों की सक्रियता में कमी दिख रही है. ऐसे कार्यकर्ता-पदाधिकारियों की पार्टी से छुट्टी की तैयारी है.

बीजेपी में संगठन चुनाव प्रक्रिया शुरू
बीजेपी में भी संगठन चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश को नए साल में बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा. बूथ कमेटियों के गठन के बाद मंडल और जिला अध्यक्षों का चुनाव होगा, फिर नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगेगी. बीजेपी की सूबे में नए संगठन में जातीय समीकरण को साधने के साथ सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति है.

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