अधिकारियों की शह पर भ्रष्टाचार किस तरह पनपता है, इसका एक उदाहरण सीतापुर में देखने को मिला. जहां जो काम मजदूरों से कराया जाना चाहिए, उसे मशीनों से कराया गया. घोटाले पर चादर डालने के लिए मूकबधिर को मोहरा बनाया गया.
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राजकुमार दीक्षित/सीतापुर : उत्तर प्रदेश के सीतापुर में अफसरों की लापरवाही का एक मामला सामने आया है. यहां गौशाला की जमीन का समतलीकरण मनरेगा से मजदूरों के द्वारा किया जाना था लेकिन ग्राम प्रधान ने जेसीबी से करा दिया. जिसके बाद गांव के शिकायतकर्ता सूर्यकांत पांडे ने इसकी शिकायत डीएम और सीडीओ से की अधिकारियों ने पूरे मामले की जांच कराने के आदेश दिए. मामला विकासखंड एलिया के कुरका गांव का है.
शिकायतकर्ता सूर्यकांत पांडे ने 5 सितंबर को विकास महकमे के अधिकारियों से एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें शिकायतकर्ता का आरोप था कि ग्राम पंचायत कुरका में गौशाला का निर्माण कराया जा रहा है. आरोप था कि प्रधान ने विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से मनरेगा का कार्य मजदूरों से न करवा कर जेसीबी से करवा दिया. इस मामले में नगर विकास राज्य मंत्री राकेश राठौर गुरु ने भी मामले की जांच के निर्देश दिए हैं. अधिकारियों ने प्रधान और सचिव समेत कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी. लेकिन बयानों में मामला फंस गया और अफसरों की कारगुजारी सामने आई. जांच रिपोर्ट में जिन लोगों से बयान लिए जाने का उल्लेख किया है उनमें दिनेश अवस्थी का भी उल्लेख है. सबसे चौंकाने वाली बात है कि दिनेश मूकबधिर है. न ही वह बोल पाता हैं और ना ही सुन पाते हैं.ऐसे में जांच रिपोर्ट पर भी सवाल उठ रहे हैं.
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इस मुद्दे पर सीडीओ अक्षत कुमार वर्मा का कहना है इस मामले की जांच पहले ब्लॉक स्तर से कराई गई. फिर डीसी मनरेगा ने भी की. दिव्यांग के बयान को लेकर ब्लॉक स्तर की टीम से स्पष्टीकरण मांगा गया है. इन लोगों ने मूकबधिर व्यक्ति से भी अंगूठा लगवा लिया. यह गड़बड़ी की गई है, ऐसे में उचित कार्रवाई की जाएगी.