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UP Nikay Chunav 2023: निकाय चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर कबजा करने के लिए सपा और आरएलडी ने गठबंधन कर लिया है. इस चुनाव के लिए बसपा ने भी पूरा जोर लगाया हुआ है. बीजेपी ने कई बड़े दिग्गजों को इस निकाय चुनाव के प्रचार की जिम्मेदारी दी है. सभी दल इस चुनाव को 2024 लोकसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं. यहां हम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनावी समीकरण क्या कहते हैं इस पर बात करेंगे.
खबर विस्तार से
यूपी निकाय चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने पूरा जोर लगाया हुआ है. सभी दल एक दूसरे को घेरने में जुटे हैं. माना जाता है जिसने पश्चिम का किला फतह कर लिया गद्दी पर उसका ही राज होता है. अब नतीजे तय करेंगे कि पश्चिमी जिलों से किसकी जीत होगी.
यूपी की राजनीति में हमेशा से कहा जाता है कि पश्चिम के किले का जिसने किलेबंदी कर लिया. यूपी की गद्दी पर भी वही बैठेगा. पश्चिमी यूपी में कई जिले हैं तमाम नगर निगम, नगर पालिका और पंचायतें हैं. सभी दलों ने इन जिलों में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. इस निकाय चुनाव में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. बीजेपी के कई मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को प्रचार पर लगाया गया है. खुद सीएम योगी और दोनों डिप्टी सीएम इस निकाय चुनाव के लिए रात- दिन लगे हुए हैं.
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निकाय चुनाव में बीजेपी के लिए जहां अपनी सीटों को बचाने की चुनौती है. वहीं सपा और रालोद के गठबंधन की भी ये परीक्षा है. सपा का रालोद के साथ गठबंधन करने का मुख्य कारण ही पश्चिमी उत्तरप्रदेश है. पश्चिमी उत्तरप्रदेश में रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी की मजबूत पकड़ मानी जाती है. पश्चिमी उत्तरप्रदेश पर मजबूत पकड़ के लिए अखिलेश ने भीम आर्मी के साथ भी गठबंधन कर लिया है. आइये जानते हैं पश्चिमी उत्तरप्रदेश के क्या समीकरण हैं.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का जनपद मुरादाबाद
मुरादाबाद जनपद में 1 नगर निगम और 11 नगर निकाय हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का गृह जनपद भी है. प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यपाल सैनी भी यहीं से आते हैं. मुरादाबाद जनपद में प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ एक विधायक की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. सपा की बात करें तो सपा ने मुरादाबाद से हाजी रईसुद्दीन को प्रत्याशी बनाया है और कांग्रेस ने भी मुस्लिम प्रत्याशी हाजी रिजवान को अपना उम्मीदवार बनाया है. ये तो मतगणना के दिन ही पता चलेगा कि सपा और कांग्रेस का फैसला सही है या बीजेपी का.
जनपद मेरठ
मेरठ जनपद में 1 नगर निगम और 16 नगर निकाय हैं. 2 नगरपालिका और 13 नगर पंचायतें भी हैं. बीजेपी के लिए यहां जीतना बड़ा मुश्किल है. बीजेपी ने मेरठ की जिम्मेदारी 11 दिग्गज नेताओं को दी है. 4 सांसद, 3 विधायक और 3 एमएलसी यहां पर प्रचार में लगे हैं.
मुजफ्फरनगर और बागपत जनपद
मुजफ्फरनगर में 10 नगर निकाय हैं और बागपत में 9 नगर निकाय. मुजफ्फरनगर से केंद्रीय राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान और राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वहीं बागपत से पूर्व केंद्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद डॉ सत्यपाल सिंह , राज्य मंत्री केपी मलिक और एक विधायक की प्रतिष्ठा यहां से दांव पर है.
जनपद सहारनपुर
सहारनपुर में 12 नगर निकाय हैं. इनमें से 1 नगर निगम भी शामिल है. यहां राज्य मंत्री कुंवर ब्रिजेश सिंह और राज्य मंत्री जसवंत सैनी सहित पांच विधायकों का कद तय होगा. सहारनपुर में भी मुरादाबाद जैसी स्थितियां बनी हैं. यहां सपा (नूर हसन) और बसपा (खदीजा मसूद) ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगया है तो बीजेपी ने हिन्दू उम्मीदवार डॉ अजय कुमार को टिकट दी है. यहां से बसपा और बीजेपी में सीधी लड़ाई बताई जा रही है.
शामली में सांसद का इम्तिहान
शामली जिले में 10 नगर निकाय हैं. यहां पर बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल और कैराना सांसद प्रदीप चौधरी का बड़ा इम्तिहान होना है. हालांकि, बीजेपी के नेताओं का कहना है कि यहां बीजेपी से किसी का कोई मुकाबला नहीं है. सब एक तरफा है.
गाजियाबाद, बिजनौर और बुलंदश्हर का हाल
केंद्रीय मंत्रियों पर जिम्मेदारी
गाजियाबाद जिले में 9 नगर निकाय हैं. बिजनौर में 18 नगर निकाय हैं और बुलंदशहर में 17 नगर निकाय हैं. सबसे पहले बात गाजियाबाद की करें तो यहां से केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह और राज्यमंत्री नरेंद्र कश्यप हैं. गाजियाबाद से बीजेपी के 6 विधायकों की प्रतिष्ठा का सवाल है. नगर निगम में भाजपा प्रत्याशियों को जीत दिलाने की पूरी जिम्मेदारी इन पर है. यह इलाका दिल्ली से सटा हुआ है इसलिए यहां पर आम आदमी पार्टी भी भाजपा के लिए मुसीबत बन सकती है. बिजनौर भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री का गृहजनपद है. यहां से पूर्व मंत्री अशोक कटारिया और 4 विधायक भी बीजेपी के पास हैं. बिजनौर में भी
बीजेपी को मजबूत माना जा रहा है.
बुलंदशहर प्रदेश मंत्री डॉ. चंद्र मोहन और अमित वाल्मीकि का गृह जनपद है इसलिए यहां के नगर निकाय पर भाजपा ऊपर दिख रही है. यहां के बीजेपी नेताओं का कहना है कि मोदी योगी के विकास और सुरक्षा मॉडल के आगे कोई नहीं टिकेगा और सपा का तो सूपड़ा ही साफ हो जाएगा. इनके अनुसार यहां की सभी सीटों पर बीजेपी जीतने जा रही है.
विपक्षी पार्टियां
सपा, आरएलडी और बीएसपी भी पूरी मजबूती से निकाय चुनाव लड़ रही हैं. जयंत चौधरी और अखिलेश यादव का अभी तक पश्चिम इलाकों में नहीं आना बीजेपी को काफी राहत दे रहा है. यहां सपा और आरएलडी के नेता कई सीटों पर आमने सामने हैं. इतना सब कुछ होने के बावजूद आरएलडी नेताओं का कहना है गठबंधन ही जीतेगा.
किसका होगा पश्चिमी उत्तर प्रदेश
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के नतीजों में बीजेपी के कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. सत्ता के इस इम्तिमाहन में कौन पास होगा और कौन फेल यह तो मतगणना के दिन ही पता चल पाएगा. इन नतीजों से यह जरूर साफ हो जाएगा कि पश्चिम के किले की पहरेदारी में लगे योद्धा पहरेदारी के लायक भी हैं या नहीं. इस नगर निकाय चुनाव को लेकर सबसे बड़ी बात यह कही जा रही है कि 2024 लोकसभा फतह का रास्ता इसी पश्चिम के किले से होकर जाएगा.
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