Munshi Premchand Museum: इस संग्रहालय के माध्यम से उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द्र के प्रशंसकों को उनके जीवन से जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा. यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि मुंशी प्रेमचन्द्र ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की विडंबनाओं का चित्रण किया.
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Munshi Premchand Museum: महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द्र के गांव को संग्रहालय बनाया जाएगा इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है. मुंशी प्रेमचंद्र का पैतृक गांव लमही जनपद वाराणसी में स्थित है. इनके गांव को संग्रहालय का रूप दिये जाने को लेकर 10 करोड़ रूपये का प्रस्ताव तैयार कर शासन को अनुमति के लिए भेजा गया है. इसकी स्वीकृति मिलते ही संग्रहालय के निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा. पर्यटन मंत्री ने बताया कि वर्तमान समय में उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का गांव लमही पर्यटन स्थल के तौर पर प्रसिद्ध है. कुछ साहित्य प्रेमी तो उनके पैतृक आवास को एक मंदिर के समान मानते हैं.
कैसा होगा संग्रहालय
महान उपनायासकार मुंशी प्रेमचंद्र के गांव लमही के इस संग्रहालय के कई भाग होंगे जिसमें वर्चुअल म्यूजियम के अलावा गृहस्थी के समान तथा उनकी स्मृतियों से जुड़ी हुई अन्य सामग्री रखी जायेगी. इस संग्रहालय के माध्यम से उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र के प्रशंसकों को उनके जीवन से जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा.
प्रेमचंद्र की रचनाओं में समाज का वास्तविक चेहरा
प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने आज बताया कि मुंशी प्रेमचन्द्र ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की विडम्बनओं का चित्रण किया. उनकी रचना में समाज का वास्तविक चेहरा उभर कर आता है. उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के प्रति जन चेतना जगाई है.
वास्तव में कहा जाये तो उन्होने समाज में व्याप्त तमाम विकृतियों को अपनी रचना में जहाँ एक ओर रेखांकित किया वहीं दूसरी ओर उनके समाधान का तरीका भी बताया. ऐसे कालजयी लेखक के सम्पूर्ण जीवन के घटनाक्रम को इस संग्रहालय में स्थान प्राप्त होगा. जिससे आज की नई पीढ़ी मुंशी प्रेमचन्द्र को करीब से जान सकेगी. पर्यटन मंत्री ने बताया कि वर्तमान समय में उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का गांव लमही पर्यटन स्थल हैं. कुछ साहित्य प्रेमी तो उनके पैतृक आवास को एक मंदिर मानते हैं.
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