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Sedition Case in India: उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने के मामले में गिरफ्तार की गई सांसद नवनीत कौर और उनके पति MLA रवि राणा के खिलाफ राजद्रोह की धारा भी जोड़ दी गई है. पिछले कुछ सालों से राजद्रोह की धारा के इस्तेमाल का चलन बढ़ा है. राजद्रोह यानि Sedition जैसे भारी केस पुलिस बना तो देती है लेकिन साबित करने की बारी में हवा निकल जाती है. तो आईए जानते हैं कि पिछले 7 सालों में राजद्रोह के मामलों का क्या हुआ?
सेडिशन यानी राजद्रोह के मामलों में धारा 124 A लगाई जाती है. अगर कोई व्याक्ति अपने भाषण या लेख या दूसरे तरीकों से सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ इस धारा के तहत मामला दर्ज किया जाता है. इस मामले में दोषी साबित होने पर तीन साल तक की कैद हो सकती है. कुछ मामलों में ये सज़ा उम्रकैद तक हो सकती है.
लोक सभा के पटल पर रखे डाटा के अनुसार साल 2014 से साल 2020 के बीच भारत में कुल राजद्रोह के कुल 399 मामले लगाए गए. चार्जशीट की बारी तक आते आते ये केस एक तिहाई (125) रह जाते हैं. वहीं अगर केस साबित होने की बात आए तो महज 8 मामलों में ही आरोप सही पाए गए है. यानि राजद्रोह के मामले में कनविक्शन रेट महज 2 प्रतिशत है.
राजद्रोह के कुल दर्ज मामले (2014-2020) - 399
चार्जशीट दाखिल - 125
आरोप साबित - 8
आरोप साबित (%) - 2 %
(Source : NCRB)
पिछले सात सालों के आकड़ों को खंगालने पर पता चलता है कि कुल मिलाकर सरकारें राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने में उत्साह दिखा रही हैं. जहां साल 2014-17 के बीच चार साल में राजद्रोह के कुल 163 केस दर्ज किए थे. लेकिन अगले तीन सालों (2018-2020) में ये आकंड़ा करीब 70 प्रतिशत बढ़कर 236 तक पहुंच गया है.
2020 - 73
2019 - 93
2018 - 70
2017 - 51
2016 -35
2015 - 30
2014 - 47
(Source : NCRB)
राजद्रोह के मामले में केस दर्ज करने में अव्वल राज्यों में सबसे पहला नाम असम का आता है जहां पर पिछले 7 सालों में (2014-2020) देश के करीब 16 प्रतिशत मामले दर्ज हुए हैं. उसके बाद झारखंड (40), कर्नाटक (38) और हरियाणा (37) का नम्बर आता है.नीचे सूची में दिए गए 9 राज्यों में देश के 70 प्रतिशत राजद्रोह के मामले दर्ज हुए हैं.
असम - 66
झारखंड - 40
कर्नाटक - 38
हरियाणा - 37
जम्मू कश्मीर - 27
केरल - 25
बिहार - 25
उत्तर प्रदेश - 24
मणिपुर - 21
(Source : NCRB)
जैसा कि हम पहले जिक्र कर चुके हैं कि देश में दर्ज होने वाले राजद्रोह के केस में चार्जशीट दाखिल करने की दर महज 30 प्रतिशत है. मगर कुछ ऐसे राज्य भी है जहां पर ये चार्जशीट दाखिल करने की दर देश की औसत से बेहतर है. यूपी और हरियाणा में 58 और 51 प्रतिशत मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. वहीं केरल और बिहार में (2014-2020) के बीच दर्ज हुए केस अभी भी चार्जशीट के स्तर पर नहीं पहुंचे है.
IPC की धारा 124A यानि Sedition के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर चिंता जता चुका है. कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें अपने विरोधियों के ऊपर बिना सोचे-समझे इस धारा का इस्तेमाल कर रही हैं और इस पर लगाम लगाने की जरूरत है.
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