Wrestlers Protest: बृजभूषण भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं और पहलवान इन दिनों उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो केस दर्ज किए हैं.
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Wrestlers Protest Supreme Court: बृजभूषण शरण सिंह इन दिनों महिला पहलवानों के लगाए आरोपों के कारण सुर्खियां बटोर रहे हैं. लेकिन अजेयता की जो ढाल उन्होंने पहन रखी है, वह उनको उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन लोकसभा क्षेत्रों में उनके दबदबे के कारण मिली हुई है. एक बात यह भी है कि बीजेपी के कई अन्य सांसदों की तुलना में संतों के साथ उनके मजबूत संबंध हैं और अयोध्या में राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में उनकी निभाई हुई भूमिका भी उन्हें मजबूत बनाती है. पूर्वी यूपी में उनके दर्जनों एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स हैं, जो उनके वोट बैंक को जोड़ते हैं. वह 6 बार सांसद रह चुके हैं.
दरअसल बृजभूषण भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं और पहलवान इन दिनों उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो केस दर्ज किए हैं.
बृजभूषण पर दो एफआईआर दर्ज
एफआईआर में से एक नाबालिग लड़की की दी हुई यौन उत्पीड़न की लिखित शिकायत पर है, जो पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज की गई है. इसमें जमानत की कोई गुंजाइश नहीं है. फिर भी दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण को गिरफ्तार करने की कोई कोशिश नहीं की. बृजभूषण जोर देकर कहते हैं कि वह जांच का सामना करेंगे, लेकिन अपराधी के रूप में इस्तीफा नहीं देंगे. अनुशासन पर दृढ़ रहने का दावा करने वाली बीजेपी ने फिलहाल उनके व्यवहार को लेकर आंखें मूंद ली हैं.
2011 में डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष का पद संभालने से बहुत पहले बृजभूषण अपनी बाहुबली वाली छवि के लिए जाने जाते थे. अयोध्या आंदोलन में एक प्रमुख खिलाड़ी रहे बृजभूषण को उस समय उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए वन-मैन आर्मी के रूप में जाना जाता था, जब पार्टी की राज्य में राजनीतिक मंच पर मौजूदगी कम थी.
बृजभूषण के करियर पर एक नजर
1957 में गोंडा में जन्मे बृजभूषण की राजनीति में दिलचस्पी सत्तर के दशक में एक कॉलेज छात्र नेता के रूप में शुरू हुई.
उन्होंने प्रतिशोध के साथ राजनीति में प्रवेश किया, जब बीजेपी के सीनियर लालकृष्ण आडवाणी अयोध्या आंदोलन के दौरान गोंडा आए थे.
बृजभूषण ने आडवाणी के रथ को 'ड्राइव' करने की पेशकश की और इसने उन्हें बीजेपी के अंदर तुरंत शोहरत दिलाई.
बृजभूषण ने पहला चुनाव 1991 में गोंडा से राजा आनंद सिंह को हराकर जीता था. अगले साल उनका नाम बाबरी विध्वंस मामले में एक आरोपी के तौर पर आया, जिसने उनकी हिंदू समर्थक छवि और मजबूत हुई. उन्हें 2020 में अन्य लोगों के साथ बरी कर दिया गया था.
बृजभूषण गोंडा, बलरामपुर और कैसरगंज से छह बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं और अपनी राजनीतिक सूझबूझ से कहीं ज्यादा उन्हें क्षेत्र के माफिया के रूप में जाना जाता रहा है.
एक समय बृजभूषण पर तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे.
1996 में उन पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथियों को पनाह देने का आरोप लगा था. उस पर टाडा के तहत केस दर्ज किया गया था, जिसके बाद उनको सलाखों के पीछे भेज दिया गया.
कहा जाता है कि जेल में रहने के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें खत लिखा था, जिसमें उन्हें साहस रखने और सावरकरजी को याद करने के लिए कहा गया था, जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
बाद में सबूतों की कमी के कारण उन्हें मामले में बरी कर दिया गया था.
साल 1996 में जब वह जेल में थे, तब बीजेपी ने उनकी पत्नी केतकी सिंह को लोकसभा का टिकट दिया था और वह बड़े अंतर से जीती थीं.
दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी ने बृजभूषण को हमेशा राजनीतिक शह दी है खासकर पूर्वी यूपी और राजपूतों के बीच उनके दबदबे के कारण.
पार्टी आलाकमान जानता है कि अगर उसने बृजभूषण को बाहर का रास्ता दिखाया तो उसे सीटों का नुकसान होगा.
सदी के आखिर के बाद से ही बृजभूषण का दबदबा बढ़ा है और इसलिए उनका बैंक बैलेंस भी बढ़ा है.
उनकी बेशर्मी इस बात से जाहिर होती है कि उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने माना था कि उन्होंने एक हत्या की थी - ऐसा कुछ, जिसे सबसे खूंखार अपराधी भी कैमरे के सामने स्वीकार नहीं करता है.
इंटरव्यू ने उन्होंने कहा था कि उस व्यक्ति को उन्होंने गोली मारी थी, जिसने रवींद्र सिंह की हत्या की थी. उन्होंने कहा था, 'मैंने रवींद्र सिंह को गोली मारने वाले को धक्का देकर मार डाला.'
इससे पहले, 2009 में बृजभूषण कुछ वक्त के लिए बीजेपी से अलग होकर सपा में शामिल हो गए थे, लेकिन 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले वह बीजेपी में वापस आ गए.
भाजपा में जैसे-जैसे उनका कद बढ़ा, वैसे-वैसे उनका कारोबार भी फलता-फूलता गया.
वह करीब 50 स्कूलों और कॉलेजों के मालिक हैं और शराब के ठेकों, कोयले के कारोबार और रियल एस्टेट में दबंगई के अलावा खनन में भी उनकी दिलचस्पी है.
वह हर साल अपने जन्मदिन पर छात्रों और समर्थकों को मोटरसाइकिल, स्कूटर और पैसे तोहफे में देने के लिए जाने जाते हैं.
2011 में डब्ल्यूएफआई प्रमुख के पद पर उनकी नियुक्ति से उनका पद और बढ़ गया.
चूंकि यूपी में नगर निकाय चुनाव पहले से ही चल रहे हैं, बीजेपी जानती है कि इस कद्दावर सांसद के खिलाफ कोई भी कार्रवाई पार्टी के लिए हानिकारक होगी.
इसके अलावा लोकसभा चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं, इसलिए बीजेपी सिंह को निशाना नहीं बना सकती.
वह यूपी की राजनीति में बेहद प्रभावशाली ठाकुर नेता हैं, भले ही योगी आदित्यनाथ की भी पहचान ठाकुर नेता के रूप में है.
मामला सुप्रीम कोर्ट में चले जाने से असमंजस में फंसी बीजेपी के लिए बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए ये कारण काफी हैं.
(इनपुट-IANS)