साल 2008 में जयपुर के अंदर एक के बाद एक कई सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे. राजस्थान हाइकोर्ट ने इन धमाकों के आरोपियों को बरी कर दिया था. जबकि निचली अदालत ने इन अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई थी. राजस्थान ATS ने सोची-समझी साजिश के तहत आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश नहीं किए थे.