संसद की कार्यवाही पर एक मिनट का खर्च ढाई लाख रुपये आता है और एक घंटे का ये खर्च होता है डेढ़ करोड़ रुपये। एक घंटे का लंच टाइम हटा दें तो संसद रोज़ 6 घंटे चलती है। इस हिसाब से शोर-शराबे में अगर 6 घंटे बर्बाद हुए तो कुल जमा बर्बादी हुई एक दिन में 9 करोड़ रुपये की। वो रुपये, जो असल में टैक्सपेयर्स के होते हैं। अब आते हैं बहस पर कि इस व्यवस्था का मज़ाक कौन उड़ा रहा है। संसद की सुरक्षा में सेंधमारी से शुरू हुए हंगामे में अब विपक्षी सांसदों के निलंबन का हंगामा मिक्स हो गया है। पहले हंगामा इस पर था कि सुरक्षा में सेंध को लेकर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बयान क्यों नहीं दे रहे? फिर इसमें ये जुड़ा कि जो विपक्षी सांसद ये मांग कर रहे हैं उन्हें सस्पेंड क्यों किया जा रहा है? कल तक निलंबित सांसदों की संख्या 92 थी। आज हंगामा हुआ तो लोकसभा स्पीकर ने 49 और विपक्षी सांसद सस्पेंड कर दिये। यानी कुल मिलाकर 141 विपक्षी सांसद अब तक सस्पेंड हो चुके हैं। सस्पेंशन का रिकॉर्ड है ये। लोकसभा में विपक्ष के 143 सांसद हैं, बाक़ी 3 दिन के लिये 48 ही सदन में बचे हैं। ऐसे ही राज्यसभा में विपक्ष के 96 सांसद हैं, अब 46 ही बचे हैं। इतने सस्पेंशन के बाद संसद आज भी चली। कई बिल पास हुए। वहीं निलंबित सांसदों ने संसद के बाहर हंगामा किया। TMC के एक सांसद कल्याण बनर्जी ने तो राज्यसभा के सभापति यानी उपराष्ट्रपति की नकल भी उतारी। कल्याण बनर्जी जब मिमिक्री कर रहे थे तो राहुल गांधी उनका वीडियो बना रहे थे। संसदीय परंपरा से हटकर कुछ मनोरंजन चल रहा था। लेकिन उपराष्ट्रपति ने इसे बेहद खराब बताया। संक्षेप में इतना कहा कि- गिरने की भी कोई सीमा होती है। और आज इस हंगामे पर प्रधानमंत्री भी बोले। बीजेपी संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने इस हंगामे की विपक्ष की कुंठा करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे विपक्ष संसद में सेंध लगाने वालों को समर्थन दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष का बर्ताव ऐसा है मानों वो हमेशा विपक्ष में ही रहना चाहता है। अगर ऐसा ही तो ठीक है, संसद में जो सीटें खाली दिख रही हैं, 24 में वो भी बीजेपी सांसदों से भर जाएंगी। उन्हें पार्टी सांसदों को कहा कि जब जनता के बीच जाएं तो विपक्ष के ये कारनामे भी बताएं, एक्सपोज़ करें। जबकि विपक्ष का आरोप है कि संसदीय परंपरा और लोकतंत्र की मज़ाक तो बीजेपी उड़ा रही है। यहीं से बहस को आगे ले जाएंगे.