दैनिक जीवन में प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ने से बांस से बनी वस्तुओं की मांग धीरे -धीरे कम हो गई है।डिमांड कम होने के कारण बांस कला से जुड़े ग्रामीणों की आजीविका पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इस परंपरागत व्यवसाय से जुड़ी वाल्मीकि जाति के लगभग सभी व्यापारी अब आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं ,बहुत वर्षों से ये लोग बांस के बर्तनों की कम बिक्री की वजह से परेशान हैं। वीडियो में जानिये की बांस से बने सामानों का चलन आखिर क्यों हुआ कम?