राजदीप लुधियाना के जमालपुर के सिविल अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत थे. कई उम्मीदवारों की तरह उनके लिए भी IAS बनने का सफर आसान नहीं था. इंटरव्यू से ठीक पहले उन्होंने अपने पिता को भी खो दिया था.
यह 5वीं बार था जब डॉ राजदीप सिंह खैरा ने यूपीएससी परीक्षा के लिए अटेम्प्ट दिया. वह इससे पहले दो बार यूपीएससी सिविल सर्विसेज इंटरव्यू राउंड में पहुंचे थे. इस सफलता के बाद उन्होंने कहा, 'लक्ष्य प्राप्त करने से पहले कभी मत छोड़ो. छोड़ना कोई विकल्प नहीं होता. हम सभी का कभी न खत्म होने वाला रवैया होना चाहिए. मैं कई बार असफल हुआ लेकिन तब तक प्रयास करता रहा जब तक कि मैं सफल नहीं हो गया.'
मई 2021 में COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान राजदीप के पिता की मृत्यु हो गई और वह सितंबर 2021 में UPSC सिविल सेवा इंटरव्यू के लिए उपस्थित हुए. उन्होंने चार बार पहले परीक्षा उत्तीर्ण की और दो बार साक्षात्कार के दौर में पहुंचे लेकिन सफलता उनसे एक कदम दूर थी. इस बार उन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना किया और पूरी तैयारी के साथ इंटरव्यू देने के लिए दौड़ पड़े. उनकी लगन और मेहनत रंग लाई.
उनका मानना है कि लोगों को अपनी जीत से ज्यादा अपनी हार को स्वीकार करना चाहिए. कभी-कभी निराशा, व्याकुलता, गलतियां होंगी, लेकिन यदि आप इन चुनौतियों से पार पाते हैं, तो आप खुद को सफलता के बहुत करीब पाएंगे.
लुधियाना के डॉ. राजदीप सिंह खैरा (Dr Rajdeep Singh Khaira) का कहना है कि लक्ष्य की ओर बढ़ते समय धैर्य का अत्यधिक महत्व है. वह सोशल मीडिया का भी उपयोग नहीं करते थे क्योंकि इससे बहुत अधिक ध्यान भटकता है.
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