South China Sea Dispute: बीते दिनों अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन का दौरा किया था, लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है. इससे पहले चीन ने अमेरिका के साथ सीधी सैन्य वार्ता फिर से बहाल करने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था.
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India-China Ties: ताइवान और पड़ोसी देशों से विवाद और विस्तारवादी नीतियों के लिए बदनाम चीन को अब अमेरिका सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है. यूएस न सिर्फ ताइवान को हथियार दे रहा है बल्कि फिलीपीन्स में नए मिलिट्री बेस का निर्माण कर रहा है.
इसके अलावा दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों को रोकने के लिए भारत के साथ मजबूत साझेदारी की ख्वाहिश जताई है. बीते दिनों अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन का दौरा किया था, लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है. इससे पहले चीन ने अमेरिका के साथ सीधी सैन्य वार्ता फिर से बहाल करने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था. दरअसल अमेरिका भारत के साथ साउथ चाइना सी में अपना सहयोग बढ़ाना चाहता है.
कई देशों से है चीन का विवाद
यह बात बुधवार को अमेरिका के एक सीनियर डिप्लोमैट ने कही है. दरअसल चीन का दक्षिण चीन सागर में कई देशों के साथ सीमा विवाद है. ताइवान पर भी चीन दावा करता है. लेकिन ताइवान खुद को अलग राष्ट्र बताता है. सामरिक नजरिए से देखें तो दक्षिण चीन सागर बेहद महत्वपूर्ण जगह है. यह समुद्री जहाजों के जरिए 3 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार होता है. चीन कहता है कि इस पूरे इलाके पर उसका हक है.
भारत और अमेरिका की दोस्ती बीते कुछ समय में गहरी हुई है. हाल ही में पीएम मोदी भी अमेरिका के राजकीय दौरे पर गए थे. इस दौरान अमेरिका ने भारत को अपना सबसे करीबी साझेदार बताया है. पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ने समुद्री यातायात में आ रही परेशानियों को इंटरनेशनल कानूनों के मुताबिक सुधारने पर जोर दिया.
'बाहरी ताकतों का ना हो दखल'
दक्षिणी चीन सागर को लेकर चीन कहता है कि इससे जुड़े जो विवाद हैं, उनका हल क्षेत्रीय सरकारें करें. बाहरी ताकतों का इसमें दखल न हो. अमेरिका के एक अधिकारी डेनिअल क्रिटेनब्रिंक के मुताबिक, यूएस को पता चला है कि दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन लगातार अपना दबदबा बढ़ा रहा है. जब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या दक्षिण चीन सागर में भारत का सहयोग और भूमिका होगी तो उन्होंने जवाब हां में दिया. अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा कि क्वॉड के सदस्य देशों (जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत) से भी समर्थन मिलेगा. चीन अकसर ताइवान को हमले की धमकी देता रहा है. लेकिन अमेरिका से उसको सुरक्षा हासिल है.