Kartarpur Corridor: कंगाली की मार झेल रहा पाकिस्तान अब करतारपुर जाने वाले विदेशी तीर्थयात्रियों से शुल्क वसूलेगा. पाकिस्तान की हालत ऐसी है कि उसे सिर्फ पैसा चाहिए, वो कहीं से भी आए. आर्थिक चुनौतियों के कारण ही पाकिस्तान ने करतारपुर गुरुद्वारा साहिब जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए नई फीस शुरू की है.
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Kartarpur Corridor: कंगाली की मार झेल रहा पाकिस्तान अब करतारपुर जाने वाले विदेशी तीर्थयात्रियों से शुल्क वसूलेगा. पाकिस्तान की हालत ऐसी है कि उसे सिर्फ पैसा चाहिए, वो कहीं से भी आए. आर्थिक चुनौतियों के कारण ही पाकिस्तान ने करतारपुर गुरुद्वारा साहिब जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए नई फीस शुरू की है. पाकिस्तान सरकार के इस कदम से सिख समुदाय के भीतर चिंताएं बढ़ गई हैं. करतारपुर जाने वाले विदेशी तीर्थयात्रियों को अब करतारपुर गुरुद्वारा जाने के लिए पांच डॉलर का टिकट खरीदना होगा.
पाकिस्तान की मंशा पर सवाल
पाकिस्तान के इस फैसले पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. खासकर तब जब पाकिस्तान पहले से ही करतारपुर गुरुद्वारा जाने के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों से 20 डॉलर का शुल्क ले रहा था. हालांकि इसे पाकिस्तान में आर्थिक दबावों को दूर करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच डील हुई थी कि तीर्थयात्रियों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा. लेकिन पाकिस्तान करतारपुर गुरुद्वारा जाने वाले तीर्थयात्रियों से लगातार शुल्क वसूल रहा है. नए फैसले से एक बार फिर पाकिस्तान की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं.
पाकिस्तान का कदम सिख परंपराओं के खिलाफ
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के महासचिव राजिंदर सिंह मेहता ने धार्मिक भावनाओं पर शुल्क लगाए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, "किसी की धार्मिक भावनाओं पर किसी भी प्रकार का टैक्स लगाना उचित नहीं है. पाकिस्तान द्वारा करतारपुर कॉरिडोर पर लगाया गया कोई भी शुल्क स्वाभाविक रूप से गलत है. टिकट में 5 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क जोड़ना भी एक अन्यायपूर्ण कार्रवाई है. जबकि यह सच है कि पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण किया, गुरुद्वारे की यात्रा सहित धार्मिक तीर्थयात्रा के लिए सेवा कर लगाया, जो सिख परंपराओं और मान्यताओं के खिलाफ है.
भारत उठाता रहा है ये मांग
करतारपुर कॉरिडोर को भारत और पाकिस्तान के बीच सद्भावना को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना गया है. यह कॉरिडोर भारत के सिख तीर्थयात्रियों को बिना वीजा के पाकिस्तान में करतारपुर गुरुद्वारा साहिब की यात्रा करने की अनुमति देता है. भारत और अलग-अलग सिख संगठनों ने बार-बार पाकिस्तान से कॉरिडोर पर 20 डॉलर के सेवा शुल्क को वापस लेने का आग्रह किया है.
पाकिस्तान के फैसले की आलोचना
पाकिस्तान के लिए वीजा प्राप्त करने वाले और करतारपुर कॉरिडोर के अलावा अन्य मार्गों से आने वाले सिख तीर्थयात्रियों के लिए पांच डॉलर का शुल्क लेने के फैसले ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ भौंहें चढ़ा दी हैं. अमेरिकी नागरिक हरप्रीत सिंह ने गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए 5 डॉलर टिकट शुल्क लगाने के पाकिस्तान के फैसले पर निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा, "यह अजीब है कि एक तरफ, पाकिस्तान सरकार धार्मिक पर्यटन के लिए अपने वादों का प्रचार कर रही है और दूसरी तरफ वे सिखों के धार्मिक स्थानों की यात्रा के लिए टिकट लगा रहे हैं. यह स्वीकार्य नहीं है."
पाकिस्तानी नागरिक भी देंगे शुक्ल
सूत्रों की मानें तो फीस के समर्थकों का तर्क है कि पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियों के लिए वैकल्पिक राजस्व स्रोतों की जरूरत है. उनका मानना है कि फीस करतारपुर कॉरिडोर और उससे जुड़ी सुविधाओं के रखरखाव और विकास में योगदान दे सकती है. करतारपुर की यात्रा करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को भी शुल्क देना होगा. पाकिस्तान से आने वाले लोगों को करतारपुर जाने पर प्रति व्यक्ति 400 पाकिस्तानी रुपये का भुगतान करना पड़ता है.
भारत ने चिंता जाहिर की
हाल ही में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि विदेश मंत्रालय (एमईए) ने लगातार 20 डॉलर का शुल्क लगाने के संबंध में पाकिस्तान से चिंता व्यक्त की है. पाकिस्तान के फैसले पर सिख समुदाय और दुनिया भर के धार्मिक लोग करीब से नजर रख रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि आर्थिक चुनौतियां धार्मिक स्थलों की पवित्रता और पहुंच से समझौता नहीं करेंगी.