Fuggerei Gated Colony News: अगर आप किराए के घर में रहते हों तो हर साल बढ़ा हुआ किराया देना पड़ता है. अगर आपने बढ़ा किराया नहीं दिया तो मकान खाली करना पड़ता है. लेकिन यहां हम जो जानकारी देंगे उसके बाद आप कहेंगे कि काश हमें भी वहीं घर मिल जाता. अब आपको यह जानने की दिलचस्पी होगी कि वो कौन सी जगह है, किस देश से नाता है. बता दें कि वो जगह भारत में नहीं जर्मनी में है. जर्मनी के ऑक्सबर्ग शहर में करीब पांच सौ साल पहले एक कॉलोनी बनी जिसे फुगेरेई गेटेड कॉलोनी के नाम से जानते हैं.
जर्मनी के ऑक्सबर्ग शहर में फुगेरेई सोशल हाउसिंग प्रोजेक्ट है. इसे 1521 में बनाया गया था. खास बात यह है कि इसका साल भर का किराया महज एक डॉलर है. अगर भारतीय करेंसी में बात करें को साल में 83 रुपए चुकाने पड़ते हैं. यानी महीने का किराया महज सात रुपए हैं. इससे भी बड़ी बात यह है कि कभी किराया नहीं बढ़ा.
फुगेरेई गेटेड कॉलोनी में कुल 57 इमारते हैं जिनमें 142 अपार्टमेंट हैं. 16वीं सदी की के तीसरे दशक की शुरुआत में इसे एक जर्मन बैंकर जैकब फुगर ने बनाया था. मकसद ऑग्सबर्ग के आर्थिक तौर कमजोर तबके को सस्ते दर पर आवास मुहैया कराना था. इसकी देखभाल फुगर चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए किया जाता है लिहाजा कभी रेंट बढ़ाने की नौबत नहीं आई.
फुगेरेई गेटेड कॉलोनी में सभी लोग रेंट पर घर नहीं ले सकते. कुछ खास नियम भी हैं जो पिछले पांच सौ वर्षों से प्रैक्टिस में है. इसके लिए कैथोलिक ऑग्सबर्ग के ही लोग अप्लाई कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए आपके पूर्वज कौन थे, उम्र कितनी है आप के परिवार का स्टेट्स क्या है, निर्णय का हिस्सा नहीं बनते हैं.
गेटेड कॉलोनी में रहने वालों को कुछ नियमों का पालन भी करना पड़ता है. जैसे प्रार्थना में शामिल होना, इसके अलावा यहां के रेजिडेंट्स को कम्यूनिटी सर्विस का काम भी करना पड़ता है. खासतौर से वॉचमैन या माली की भूमिका में सेवा देनी पड़ती है.
गांव का गेट रात 10 बजे तक खुला होता है. उसके बाद अगर कोई इस गेटेड कॉलोनी में दाखिल होना चाहता है तो उसे वॉचमैन को 50 यूरो सेंट अदा करने होते हैं. अगर मिडनाइट में कोई एंट्री चाहता है तो उसे एक यूरो सेंट देना पड़ता है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़