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Photos: चीन के दांत तोड़ने के लिए आ रहा 'जोरावर', एक बार निकला तो मचा देगा कहर; छिपने की नहीं मिलेगी जगह

India China News in Hindi: भारत और चीन वर्ष 1987 के बाद फिर एक बार सरहद पर आमने- सामने उलझे हुए हैं. दोनों देशों की सेनाएं पिछले 4 साल से पूर्वी लद्दाख में भारी हथियारों के साथ तैनात हैं. 

 

दुनिया में चीन की बढ़ती आक्रामकता

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दुनिया में चीन की बढ़ती आक्रामकता

दुनिया में जिस तरह चीन की आक्रामकता बढ़ रही है, उससे किसी भी देश को यह अंदेशा लगाना मुश्किल है कि वह अपनी ताकत दिखाने के लिए कब किस देश पर धावा बोल दे. भारत भी इस हालात को देखते हुए चौकस है और वह ऐसी स्थिति में चीन के दांत तोड़ने के लिए लगातार तैयारियों में जुटा हुआ है. इनमें सरहदी इलाकों में सड़कों और दूसरी सुविधाओं का विकास शामिल है. 

 

चीन के साथ देर-सबेर युद्ध तय!

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चीन के साथ देर-सबेर युद्ध तय!

भारत अच्छी तरह समझ चुका है कि देर- सबेर चीन के साथ उसका युद्ध होना तय है. यह युद्ध, हिमालय पर्वत और हिंद महासागर में लड़ा जाएगा. इसलिए भारत अपने शस्त्रागार में एक से बढ़कर एक खतरनाक हथियार शामिल कर रहा है, जिससे वक्त पड़ने पर चीन के दांत तोड़े जा सकें. पहाड़ी इलाकों में बढ़त दिलाने वाले हथियार उसकी प्राथमिकता में हैं. 

 

भारत ने तैयार कर लिया जोरावर

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भारत ने तैयार कर लिया जोरावर

भारत ने पहाड़ी युद्ध में ड्रैगन के हौंसले पस्त करने के लिए सबसे हल्का युद्धक टैंक 'जोरावर' तैयार कर लिया है. इस टैंक का वजन केवल 25 टन है, जिसकी वजह से यह गोला- बारूद लेकर घाटियों, ऊंची- नीची ढलानों और पहाड़ियों पर सरपट भाग सकता है. इसका डिजाइन और विकास DRDO ने किया है, जबकि इसका निर्माण प्राइवेट कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कर रही है.

 

रूस- यूक्रेन युद्ध से सीखा सबक

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रूस- यूक्रेन युद्ध से सीखा सबक

डीआरडीओ के प्रमुख समीर वी कामथ ने बताया कि रूस- यूक्रेन युद्ध से मिले सबक को देखते हुए सेना की हथियार प्रणालियों में तेजी से बदलाव किया जा रहा है.  'जोरावर' टैंक न केवल वजन में हल्का है बल्कि सभी अटैक और बचाव की सभी लेटेस्ट तकनीक से सुसज्जित है. यह टैंक पहाड़ पर चढ़कर दुश्मन पर कहर बरपा सकता है. वर्ष 2027 में सेना को ये टैंक मिलने शुरू हो जाएंगे.

 

गलवान संघर्ष के बाद शुरू हुआ कम

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गलवान संघर्ष के बाद शुरू हुआ कम

उन्होंने बताया कि गलवान घटना के बाद केवल ढाई साल के समय में डीआरडीओ ने इस टैंक का डिजाइन और प्रोटोटाइप तैयार कर लिया. दुनिया में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, जब इतने कम समय में कोई टैंक बनकर तैयार हो गया हो. अब इस प्रोटोटाइप का 6 महीने तक सेना के साथ मिलकर ऊंचे इलाकों में ट्रायल किया जाएगा. इस ट्रायल के दौरान मिले फीडबैक के आधार पर टैंक में आवश्यकतानुसार बदलाव किए जाएंगे.

 

मारक क्षमता के मामले में है बेजोड़

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मारक क्षमता के मामले में है बेजोड़

उन्होंने कहा कि दुनिया में इस वक्त 3 तरह के टैंक प्रचलन में हैं. इनमें भारी टैंक, मध्यम टैंक और हल्के टैंक शामिल हैं. इनमें से हरेक टैंक की अपनी विशेषता है. कोई टैंक हमले के लिए उपयुक्त है तो कोई बचाव के लिए लेकिन जोरावर टैंक को इन सब खूबियों के साथ मिक्स करके बनाया जा रहा है. जिससे यह तेजी से फायर, पावर, मूवमेंट और डिफेंस कर सकता है. 

 

एयरफोर्स कर सकती है डिलीवर

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एयरफोर्स कर सकती है डिलीवर

डीआरडीओ चीफ ने बताया कि ये टैंक इतने हल्के हैं कि एयरफोर्स के सी-17 ग्लोबमास्टर प्लेन की मदद से 2 टैंकों को एक साथ युद्ध के मोर्चे पर उतारा जा सकता है. लैंडिंग के साथ यह टैंक तेजी से वार एरिया में कहर मचाने के लिए पहुंच सकता है. इस टैंक का ट्रायल अगले डेढ़ साल तक चलेगा. इसके बाद वर्ष 2027 में 59 टैंक सेना को सौंप दिए जाएंगे. फिर 295 और टैंक बनाकर आर्मी को सौंपे जाएंगे. 

(एजेंसी इनपुट एएनआई)

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