What is Automated Road: अब तक आपने एक्सलेटर तो खूब देखे होंगे, जो अपने आप मूव करते रहते हैं लेकिन अब दुनिया में पहली बार 300 किमी लंबी स्वचालित सड़क भी बनने जा रही है, जो दिन-रात अपने आप काम करेगी.
दुनिया का अग्रणी देश जापान अब एक और नायाब काम करने जा रहा है. वह करीब 310 किमी चलती हुए सड़क का निर्माण करने जा रहा है, जो उसकी राजधानी टोक्यो को ओसाका शहर से जोड़ेगी. यह सड़क एस्कलेटर की तरह अपने आप तेज स्पीड में चलेगी और इसका इस्तेमाल उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह भेजने में किया जाएगा.
असल में जापान इन दिनों 3 तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पहली समस्या, वहां की जनसंख्या तेजी से बूढ़ी होती जा रही है, जिसके चलते पूरे देश में ट्रेंड ड्राइवरों को कमी होती जा रही है, जो मालवाहक ट्रकों को चला सकें. दूसरी बात, अपनी ढल रही अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए जापान को अपना निर्यात बढ़ाने की जरूरत है लेकिन ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत के चलते इसमें परेशानी आ रही है. तीसरी बात, डीजल- पेट्रोल के इस्तेमाल की वजह से ग्रीन हाउस गैस की समस्या बढ़ रही है. ऐसे में यह स्वचालित सड़क उनकी तीनों समस्याओं का निदान करती है.
नोमुरा रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, देश का पारंपरिक माल परिवहन वर्ष 2020 में 1.43 बिलियन टन था, जिसके वर्ष 2030 में घटकर 1.4 बिलियन टन रह जाने की आशंका है. ऐसे हालात में जापान को एक ऐसी स्वचालित सड़क की जरूरत है. यह कन्वेयर बेल्ट (Conveyor Belt) दिन-रात 24 घंटे काम करेगी. इस सड़क पर माल से भरे कंटेनर रख दिए जाया करेंगे और वे कंटेनर अपने आप चलते हुए निर्धारित जगह पर पहुंच जाएंगे.
द शंघाई पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक जापान सरकार इस योजना पर तेजी से विचार कर रहा है. यह स्वचालित सड़क पूरे जापान में सुगम कार्गो की परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करेगी. इस सड़क के निर्धारित हिस्से में कार्गो यानी माल को रखने की जगह होगी, जहां पर एक टन तक कार्गो रख सकते हैं. माना जा रहा है कि यह स्वचालित सड़क बनने के बाद रोजाना 25,000 ड्राइवरों को नौकरी से बाहर कर देगी.
परिवहन मंत्री टेटसुओ सैटो (Tetsuo Saito) ने एक कार्यक्रम में कहा कि यह कन्वेयर बेल्ट राजमार्गों के नीचे, जमीनी पटरियों पर, मोटरमार्गों आदि पर बनाई जाएगी. इस स्वचालित सड़क के दोनों ओर विशेष घेरा बनाया जाएगा, जिससे कोई इंसान या जानवर उससे टकरा न सके. इसके साथ ही उसके संचालन के लिए बीच- बीच में कई कंट्रोल रूम भी स्थापित किए जाएंगे.
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