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Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल में मुसलमानों को लुभाकर क्या चुनावी जोखिम ले रहीं ममता बनर्जी?

Mamata Banerjee Muslim Appeasement: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पर यूं तो कई बार मुस्लिम तुष्टिकरण के सवाल उठ चुके हैं. लेकिन अब सवाल पूछा जाने लगा है कि मुस्लिमों को लुभाने का दांव कहीं ममता पर उलटा तो नहीं पड़ जाएगा. मोटा-मोटा देखें तो पश्चिम बंगाल की आबादी में करीब 30 फीसदी मुस्लिम हैं. पिछले कुछ चुनावों में देखा गया है कि मुस्लिमों ने एक मुश्त वोट ममता बनर्जी की पार्टी को दिया है. बीजेपी को तो छोड़िए उन्होंने कांग्रेस और लेफ्ट के साथ जाना भी पसंद नहीं किया. अब सवाल है कि अगर ममता बनर्जी 30 फीसदी वोटर्स को लुभाने में ही लगी रहीं तो कहीं बाकी 70 फीसदी जनता एकजुट ना हो जाए.

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ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने 'एकला चलो रे' का नारा अपनाया है. टीएमसी ने ना तो कांग्रेस और ना ही लेफ्ट के साथ गठबंधन किया है. टीएमसी पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला किया है. इसके पीछे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि टीएमसी नहीं चाहती थी कि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में वह कांग्रेस और लेफ्ट के साथ गठबंधन करे. जिसका परिणाम ये ना हो कि मुस्लिम वोट खिसककर कहीं लेफ्ट और कांग्रेस की तरफ चला जाए. टीएमसी इस रणनीति पर काम कर रही है कि मुस्लिम उसके समर्थन में एकमुश्त रहे.

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पिछले कुछ सालों में मुस्लिम वोटर्स को अपने पक्ष में लाने के लिए पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार ने तमाम लोक-लुभावन का काम किए. इसमें मुस्लिमों को तमाम तरह की रियायतें देना शामिल है. टीएमसी सरकार ने मुस्लिम धर्मगुरुओं का भत्ता बढ़ाया. इसके अलावा स्टेट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में एक्सट्रा कोटा दिया. इसके लिए अलावा तमाम प्राइवेट मदरसों में रिकग्नाइज करने का वादा किया.

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कहा जा रहा है कि मुस्लिम वोटर्स को लुभाने के लिए टीएमसी ने बहरामपुर सीट से पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को उतारने का फैसला किया है. बहरामपुर से अभी कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी सांसद हैं. अधीर रंजन चौधरी को टक्कर देने के लिए टीएमसी बड़े मुस्लिम चेहरे को उतारा है. ये भी कहा जा रहा है कि अगर यूसुफ पठान हार भी जाते हैं तो भी टीएमसी बहरामपुर में मुस्लिमों के बीच अपनी खासी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हो जाएगी.

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गौरतलब है कि ममता बनर्जी पर मजहब का कार्ड खेलने का आरोप कई बार लग चुका है. ममता बनर्जी ने तो एक बार मंच से ही कह दिया कि रमजान में रोजा रखने पर मेरा मजाक उड़ाया गया. बीजेपी ने तो मेरा नाम तक बदल दिया. पर मैं इसकी परवाह नहीं करती हूं. एक अन्य फोटो में ममता बनर्जी अपने हाथ में मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान लिए हुए भी दिखी थीं. इसके अलावा, संदेशखाली जैसे मुद्दे पर भी ममता बनर्जी और उनकी पार्टी आरोपी शाहजहां शेख के पक्ष में दलीलें देती नजर आई.

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मालदा साउथ से टीएमसी उम्मीदवार के नाम पर भी बवाल छिड़ा हुआ है. दरअसल, टीएमसी ने यहां से शहनवाज अली रेहान को उम्मीदवार बनाया है. शहनवाज अली रेहान को मुस्लिम राइट विंग का पोस्टर बॉय माना जाता है. वहीं, बीजेपी ने शहनवाज अली रेहान पर एंटी-नेशनल एक्टिविटीज में शामिल होने का आरोप लगाया है.

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