Sunita Williams News: एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष में फरवरी 2025 तक रुकना पड़ सकता है. NASA ने पिछले हफ्ते एक अपडेट में ऐसी आशंका जाहिर की. विलियम्स और उनके साथ बुच विल्मोर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर फंसे दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं. दोनों एस्ट्रोनॉट्स सिर्फ आठ दिन के मिशन पर गए थे, लेकिन बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के चलते फंस गए. मिशन के लंबा खिंचने से दोनों की सेहत को खतरा पैदा हो गया है. अंतरिक्ष की दुर्गम परिस्थितियां दोनों एस्ट्रोनॉट्स को शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार कर सकती हैं. आइए जानते हैं कि अंतरिक्ष में फंसे सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर किन-किन खतरों का सामना कर रहे हैं.
लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स को सबसे बड़ा खतरा होता है रेडिएशन का. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद है. यहां रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स को धरती के मुकाबले ज्यादा रेडिएशन का सामना करना पड़ता है. धरती पर मौजूद वायुमंडल हमें इस रेडिएशन से बचा लेता है लेकिन ISS पर ऐसा कोई कवर नहीं है.
NASA भले ही एस्ट्रोनॉट्स के रेडिएशन लेवल्स को बीच-बीच में चेक करता रहता हो, लेकिन लंबे वक्त तक स्पेस में रुकने से रिस्क तो है ही. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को 150 से लेकर 6,000 चेस्ट एक्स-रे जितने रेडिएशन का सामना करना पड़ सकता है. इतनी भारी मात्रा में रेडिएशन से कैंसर और अन्य घातक बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
अंतरिक्ष मिशनों की मनोवैज्ञानिक चुनौतियां भी कम नहीं होतीं. सुनीता विलियम्स का मिशन सिर्फ आठ दिन का था, मगर अब उन्हें ISS पर रहते हुए दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं. फरवरी 2025 की तारीख का मतलब उन्हें शायद 8 दिन के बजाय नौ महीने तक अंतरिक्ष में रहना पड़ सकता है. एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में अकेलेपन, बंद जगहों और धरती से दूर होने की मानसिक चुनौतियों से जूझना पड़ता है.
इनकी वजह से एस्ट्रोनॉट्स को स्ट्रेस, एंजाइटी और डिप्रेशन हो सकता है. सुनीता विलियम्स की मेंटल हेल्थ प्रभावित हो सकती है जिसका असर निश्चित ही शरीर पर भी पड़ेगा. स्टारलाइनर में आई खराबियां भी स्ट्रेस और अनिश्चितता बढ़ाती हैं. वैसे तो विलियम्स और विल्मोर, दोनों मंझे हुए एस्ट्रोनॉट्स हैं लेकिन उन्हें भी फोकस बनाए रखने और हौसला बरकरार रखने में परेशानी हो सकती है.
एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण से भी जूझना पड़ता है. धरती पर, गुरुत्वाकर्षण नियमित शारीरिक गतिविधि के जरिए हड्डियों के घनत्व और मांसपेशियों के द्रव्यमान को बनाए रखने में मदद करता है. हालांकि, अंतरिक्ष के सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण में, प्राकृतिक तरीके से कसरत नहीं हो सकती. इससे हड्डियों के घनत्व और मांसपेशियों में कमी आती है.
रिसर्च बताती है कि एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में हर महीने अपनी हड्डियों के घनत्व का 1.5% तक खो सकते हैं. यह नुकसान न केवल फ्रैक्चर के जोखिम को बढ़ाता है बल्कि ओवरऑल फिटनेस को भी प्रभावित करता है. लंबे समय तक सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में रहने से मोटर कंट्रोल, भाषण और गंध, स्वाद और संतुलन सहित कई इंद्रियां प्रभावित हो सकती हैं.
सुनीता विलियम्स और बुल विल्मोर Boeing के जिस 'स्टारलाइनर' स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर अंतरिक्ष में गए थे, उसमें हीलियम लीक की परेशानी आई. ISS से डॉक्ड होने के बाद, स्टारलाइनर में और तकनीकी दिक्कतें होने लगीं. कायदे से दोनों एस्ट्रोनॉट्स को हफ्ते भर में लौट आना था लेकिन गड़बड़ियां अब तक दूर नहीं हो सकी हैं. NASA और Boeing, दोनों का कहना है कि वे स्टारलाइनर के जल्द ठीक होने की उम्मीद करते हैं.
अगर ऐसा नहीं होता तो दोनों एस्ट्रोनॉट्स को दूसरे स्पेसक्राफ्ट से धरती पर वापस लौटने के लिए फरवरी 2025 का इंतजार करना होगा. यह दूसरा स्पेसक्राफ्ट SpaceX का है और सितंबर में चार एस्ट्रोनॉट्स को ISS तक लेकर जाने वाला है. हालांकि, अगर विलियम्स और विल्मोर को भी वापस लाना है, तो स्पेसएक्स का यान सितंबर में केवल दो अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाएगा.
एस्ट्रोनॉट्स का अंतरिक्ष में 9-10 महीने बिताना बेहद मुश्किल है लेकिन ऐसा पहले कई बार किया जा चुका है. कुछ एस्ट्रोनॉट्स इससे ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में रहे हैं. अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने का रिकॉर्ड रूसी कॉस्मोनॉट वेलेरी पोल्याकोव के नाम है, जिन्होंने जनवरी 1994 से मार्च 1995 के बीच Mir अंतरिक्ष स्टेशन पर 438 दिन बिताए थे. रूस का Mir स्टेशन, ISS से भी पहले का है. यह 1986 से 2001 के बीच चालू था.
हाल ही में, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री फ्रैंक रुबियो ने सितंबर 2022 और सितंबर 2023 के बीच ISS में 371 दिन पूरे किए थे. कई अन्य अंतरिक्ष यात्रियों, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, ने अंतरिक्ष में 300 से अधिक दिन बिताए हैं.
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