तूतेनखामेन, मिस्र का राजा था लेकिन 1922 से पहले उसके बारे में जानकारी बेहद कम थी. मिस्र की किंग्स घाटी स्थित मकबरे के बारे में जब दो ब्रिटिश पुरातत्वविदों ने जानकारी दी उसके बाद /यह राजा चर्चा के केंद्र में आया. चर्चा के पीछे दो वजह थी.
पहली वजह यह कि तूतेनखामेन की कब्र में अकूत खजाना था और दूसरी वजह यह कि तूतनखामेन की मौत (Tutankhamun death) पर रहस्य गहराने लगा था.
इन सबके बीच इस तरह की खबरें आने लगीं कि जिस किसी ने तूतनखामेन के मकबरे (Tutankhamun tomb) के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की वो उसके शाप या श्राप का शिकार बन गया.
अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में जो कोई भी तूतेनखामेन के मकबरे (Tutankhamun tomb mystery) में कुछ तलाशने की कोशिश करता था उसे शाप लग जाता था या यूं ही किसी ने अफवाह फैलाने का काम किया था. इस बात के दावे किए जाते हैं जिस किसी ने भी मकबरे को खोलने की कोशिश की वो तूतनखामेन के शाप (tutankhamun curse) का शिकार बना.
तूतेनखामेन के मकबरे को खोलने में कई दर्जन लोग किसी न किसी तरह से जुड़े हुए थे.अगर अभिशाप को मान लिया जाए तो ज्यादातर लोगों के मरने की आशंका अधिक थी. इस विषय पर अन्वेषक जेम्स रैंडी (tutamkhamun james randy book) अपनी किताब पुस्तक एन इनसाइक्लोपीडिया ऑफ क्लेम्स, फ्रॉड्स एंड होक्सेज ऑफ द ऑकल्ट एंड सुपरनैचुरल में लिखते हैं कि जिन लोगों को अभिशाप झेलना चाहिए था
उस घटना के सोलह साल बाद यानी 1939 तक जीवित रहे थे. ऐसा भी माना जाता है कि 1922 में जब कार्टर मकबरे की खुदाई कर रहे थे उन्होंने ही अफवाह को जन्म दिया ताकि और किसी की पहुंच वहां ना हो सके.
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