Abu Dhabi and Ayodhya: अबूधाबी के पहले हिंदू मंदिर का क्‍या है अयोध्‍या से सीधा कनेक्‍शन?
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Abu Dhabi and Ayodhya: अबूधाबी के पहले हिंदू मंदिर का क्‍या है अयोध्‍या से सीधा कनेक्‍शन?

Abu Dhabi Hindu Mandir: आज पूरी दुनिया की निगाहें अबूधाबी में होने जा रहे पहले हिंदू मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम पर हैं. पीएम नरेंद्र मोदी इस भव्‍य मंदिर का उद्घाटन करेंगे. इस मंदिर का अयोध्‍या एक विशेष कनेक्‍शन भी है.  

Abu Dhabi and Ayodhya: अबूधाबी के पहले हिंदू मंदिर का क्‍या है अयोध्‍या से सीधा कनेक्‍शन?

Abu Dhabi and Ayodhya Connection: हाल ही में अयोध्‍या में प्रभु राम जन्‍मभूमि पर बने भव्‍य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा हुई है. इस ऐतिहासिक आयोजन के महज 20 दिन के अंदर ही मुस्लिम देश संयुक्‍त अरब अमीरात की राजधानी अबूधाबी में 700 करोड़ की लागत से बने पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन हो रहा है. कुल मिलाकर इस समय अयोध्‍या और अबूधाबी लोगों के बीच चर्चा का प्रमुख केंद्र बने हुए हैं. विशेष तौर पर हिंदू धर्मावलंबियों के लिए यह समय बहुत खास है. इस मौके पर हम अबूधाबी और अयोध्‍या के बीच के एक खास कनेक्‍शन को जानते हैं जो इस पहले हिंदू मंदिर से जुड़ा है. 

खास है अबूधाबी के मंदिर-अयोध्‍या का कनेक्‍शन 

अबूधाबी में बना यह पहला हिंदू मंदिर भगवान स्‍वामीनारायण का मंदिर है. जिसका निर्माण बीएपीएस स्‍वामीनारायण संस्‍था द्वारा किया गया है. स्‍वामीनारायण संप्रदाय की इस संस्‍था ने देश-दुनिया में 1,100 से ज्‍यादा स्‍वामीनारायण मंदिर बनाए हैं. भगवान स्‍वामीनारायण के देश ही नहीं दुनिया के विभिन्‍न हिस्‍सों में करोड़ों अनुयायी हैं. साथ ही कई देशों में भगवान स्‍वामीनारायण के मंदिर हैं. 

भगवान स्‍वामीनारायण का जन्‍मस्‍थान 

अबूधाबी के इस मंदिर के अयोध्‍या से कनेक्‍शन की बात करें तो जिन भगवान स्‍वामीनारायण का भव्‍य मंदिर अबूधाबी में बना है, उनका जन्‍म अयोध्‍या से लगे छपैया गांव में हुआ था. उत्‍तर प्रदेश में अयोध्‍या के पास छपैया गांव के ब्राह्मण परिवार में 3 अप्रैल 1781, रामनवमी को जन्‍मे बालक का नाम घनश्‍याम पांडे रखा गया. बचपन से ही बेहद विलक्षण घनश्‍याम ने 5 साल की आयु में ही पढ़ना-लिखना शुरू कर दिया था. जब 8 साल की उम्र में जैसे ही उनका जनेऊ संस्‍कार हुआ तो उन्‍होंने शास्‍त्रों का अध्‍ययन करना शुरू कर दिया. इसके बाद 11 साल की उम्र में उन्‍होंने घर का त्‍याग कर दिया और अध्‍यात्‍म की राह पर चल पड़े. इसके बाद उन्‍होंने पूरे देश का भ्रमण किया और स्‍वामीनरायण संप्रदाय की स्‍थापना की. 

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