Lunar Solar Eclipse 2025 (पंडित शशिशेखर त्रिपाठी) : हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष से नए संवत्सर और वर्ष का प्रारंभ माना जाता है, जोकि 30 मार्च रविवार से है. चैत्र मास और नये वर्ष के प्रारम्भ होने के महज एक दिन पहले ही ग्रहण लगेगा.
Trending Photos
First Chandra Surya Grahan 2025: हिंदू कैलेंडर के आधार पर यह साल के अंतिम दो ग्रहण है, जिनके बीच का समय अंतराल सिर्फ 15 दिन है. पूर्णमासी और अमावस्या पर लगने वाला यह ग्रहण भारत में दृश्य होगा या नहीं ? क्या है ग्रहण की तारीख? ग्रहण काल में क्या करना होगा जप तप..? इन सभी तरह की कंफ्यूजन इस लेख के माध्यम से दूर होगी. जानते है ग्रहण के विषय में विस्तार से-
ग्रहण का अर्थ
ग्रहण काल में या उससे कुछ दिन पहले से ही गुरुत्वीय ऊर्जा में कुछ परिवर्तन होता है जिसका असर आत्मा से लेकर पृथ्वी तक पर पड़ता है. धार्मिक मान्यताओं के आधार पर राहु और केतु को ग्रहण के लिए जिम्मेदार माना जाता है, जो कि समय-समय पर सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाते हैं. संहिता के अनुसार ग्रहण काल साधना के लिए बहुत ही अच्छा होता है.
चंद्र ग्रहण की तिथि, स्पर्श और मोक्ष का समय
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमासी तिथि यानी कि 14 मार्च 2025 शुक्रवार के दिन खग्रास चंद्रग्रहण होगा. यह ग्रहण मध्य एशिया के अधिकांश भाग यूरोप, पश्चिम, अफ्रीका प्रशांत, महासागर, उत्तरी अमेरिका अटलांटिक महासागर, दक्षिणी अमेरिका जैसे क्षेत्रों में दिखेगा. भारतीय समयानुसार ग्रहण स्पर्श समय सुबह 10:31 जबकि मोक्ष दोपहर 2:00 बजे 18 मिनट पर होगा. यह ग्रहण सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा.
सूर्य ग्रहण की तिथि, स्पर्श और मोक्ष का समय
हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार साल का अंतिम ग्रहण खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा जोकि 29 मार्च 2025 शनिवार के दिन लगेगा. खगोलीय दृष्टि से यह दिन बेहद खास होने वाला है, क्योंकि सूर्य ग्रहण लगने के साथ ही इस दिन अस्त शनि उदय होंगे और मीन राशि में गोचर करेंगे. भारतीय समयानुसार सूर्य ग्रहण स्पर्श का समय दोपहर 02:20 जबकि मोक्ष सायं 06 बजकर 13 मिनट पर होगा. यह सूर्य ग्रहण मीन राशि और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में लगेगा.
नहीं लगेगा सूतक
ग्रहण को लेकर भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है, निर्णय सागर पंचांग में स्पष्ट किया है कि 14 मार्च को लगने वाला खग्रास चंद्रग्रहण और 29 मार्च को लगने वाला खंडग्रास सूर्य ग्रहण दोनों ही भारतीय परिक्षेत्र में दृश्य नहीं होंगे. जिस कारण दोनों ही ग्रहण से संबंधित किसी भी प्रकार का यम नियम सूतक आदि मान्य नहीं होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)