Black Hole News: आमतौर पर सूर्य से लगभग आठ गुना बड़े तारे जब अपने जीवत के अंत में पहुंचते हैं तो भयानक विस्फोट होता है, जिसे सुपरनोवा कहते हैं. हालांकि, एक तारा ऐसा मिला जो बिना सुपरनोवा हुए ही ब्लैक होल में बदल गया है.
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Science News: सूर्य से करीब आठ गुना बड़े तारे जब अपने जीवन के अंत में पहुंचते हैं तो सुपरनोवा हो जाते हैं. सुपरनोवा, उन तारों में होने वाले भयानक विस्फोट को कहते हैं जिसके बाद पीछे ब्लैक होल या न्यूट्रॉन तारा छूट जाता है. सुपरनोवा धमाकों की चमक इतनी तेज होती है कि अपनी आकाशगंगाओं की चमक को महीनों तक फीका कर सकती है. हैरानी की बात यह है कि वैज्ञानिकों ने एक ऐसे विशाल तारे का पता लगाया है जिसमें धमाका नहीं हुआ और वह सीधे ब्लैक होल में बदल गया.
तारा फटा नहीं, सीधे ब्लैक होल बन गया
नई रिसर्च बताती है कि पड़ोसी एंड्रोमेडा गैलेक्सी (M31) में मौजूद एक विशालकाय तारा सुपरनोवा के रूप में फटा ही नहीं. रिसर्च का टाइटल 'M31 में एक विशाल तारे का लुप्त होना एक ब्लैक होल के जन्म को दिखाता है' है. इसके लीड ऑथर किशाले डे हैं, जो MIT के कावली इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिक्स एंड स्पेस रिसर्च में पोस्टडॉक्टरल स्कॉलर हैं.
वैज्ञानिकों ने जिस तारे को सीधे ब्लैक होल में बदलते देखा, वह M31-2014-DS1 है. 2014 में मिड-इंफ्रारेड में इसकी चमक नोटिस की गई थी. अगले 1000 दिनों तक यह लगातार चमकता रहा. फिर 2016 से 2019 के बीच, अगले 1000 दिन इसकी चमक आश्चर्यजनक रूप से फीकी पड़ने लगी. अब वैज्ञानिकों को पता लगा है कि तारे का लगभग 98% द्रव्यमान नष्ट हो गया और लगभग 6.5 सौर द्रव्यमान वाला एक ब्लैक होल बन गया.
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दुर्लभ हैं ऐसे सुपरनोवा, समझ पर उठे सवाल
ऐसे सुपरनोवा टाइप-II या कोर-कोलैप्स सुपरनोवा कहते हैं. ये ब्रह्मांड में दुर्लभ हैं और मिल्की वे में कोई 100 साल में एक बार ऐसा सुपरनोवा होता है. वैज्ञानिकों को सुपरनोवा में दिलचस्पी इसलिए क्योंकि उनकी वजह से कई भारी तत्व बनते हैं. सुपरनोवा की शॉकवेव्स से तारों का निर्माण शुरू हो सकता है. उनसे ऐसी ब्रह्मांडीय किरणें निकलती हैं जो धरती तक पहुंच सकती हैं. नई रिसर्च दिखाती है कि हम शायद सुपरनोवा के बारे में उतनी अच्छी तरह से नहीं जानते.