Guru Nanak Jayanti: गुरुनानक जयंति पर कर आएं इन गुरुद्वारों के दर्शन, सुकून से भर जाएगा मन
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Guru Nanak Jayanti: गुरुनानक जयंति पर कर आएं इन गुरुद्वारों के दर्शन, सुकून से भर जाएगा मन

Gurudwara, Punjab: गुरुद्वारा ऐसा स्थान है जहां कभी भी चले जाएं मन तमाम चिंताओं को भूलकर शांति से भर जाता है. पंजाब में कई खूबसूरत गुरुद्वारा हैं जिनके दर्शन आप कर सकते हैं. 

गुरुद्वारा दर्शन

Gurudwara Darshan: गुरुनानक जयंति का पावन पर्व 8 नवंबर के दिन मनाया जाएगा. इस दिन श्रद्धालु गुरुद्वारों में जाकर दर्शन करते हैं. गुरुद्वारा ऐसा स्थान है जहां कभी भी चले जाएं मन तमाम चिंताओं को भूलकर शांति से भर जाता है. पंजाब ऐसा राज्य है जहां सिक्ख धर्म को मानने वाले लोग सबसे ज्यादा संख्या में हैं. यहां कई गुरुद्वारे हैं. अगर आप भी गुरुनानक जयंति के मौके पर गुरुद्वारा दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो पंजाब के प्रसिद्ध गुरुद्वारों के दर्शन कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि किन गुरुद्वारों के दर्शन करने से आपका मन सुकून से भर जाएगा. 

स्वर्ण मंदिर, अमृतसर

स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा बेहद खूबसूरत है.इसका ऊपर का हिस्सा सोने से बना हुआ है. इसरी नींव एक मुस्लिम संत ने रखी थी. पांचवें सिख गुरु द्वारा इस गुरुद्वारा का डिजाइन बनाया गया था. अमृतसर के इस गुरुद्वारा के दर्शन के करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. स्वर्ण मंदिर में हर वक्त भक्तों का तांता लगा रहता है. 

गुरुद्वारा दुखनिवारण साहिब

पंजाब का यह गुरुद्वारा चमत्कारी पानी के लिए फेमस है यहां के लोगों की मान्यता है कि गुरुद्वारे के पास के जल कुंड का पानी चमत्कारी है जो इस तालाब के पानी में डुबकी लगाता है, यह पानी व्यक्ति की बीमारियों को दूर कर देता है.

आनंदपुर साहिब

आनंदपुर साहिब गुरुद्वारा की नींव 1689 में रखी गई थी. सिक्ख धर्म के लोगों के लिए आनंदपुर साहिब का खास महत्व है. इस गुरुद्वारे से खालसा पंथ की शुरुआत हुई थी इसलिए आनंदपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन करना बहुत पवित्र माना जाता है. 

फतेहपुर साहिब 

फतेहपुर साहिब का नाम इतिहास में प्रसिद्ध है. फतेहपुर साहिब सिख धर्म की आस्था का प्रतीक है मुगल काल में कुछ लोगों पर जबरदस्ती इस्लाम कुबूल करने पर जोर डाला गया. जोरावर सिंह और फतेह सिंह नाम के दो साहसी बच्चों ने अपना धर्म छोड़ने से मना कर दिया तो मुगलों ने उन्हें मार डाला. फतेहपुर साहिब इन्हीं की याद में बनाया गया है.

दरबार साहिब तरनतारन

गुरुद्वारा दरबार साहिब को तरनतारन नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना गुरु अर्जुन देव ने की थी, जो कि सिखों के पांचवें गुरु थे. यह गुरुद्वारा बेहद खूबसूरत है, गुरुद्वारे की बनावट और उसके किनारे का तालाब मन को सुकून से भर देता है. पुराने समय में तरनतारन सिक्कों का केंद्र हुआ करता था.

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