Navratri 2022: दशहरे के दिन बड़े धूमधाम से रावण दहन करने की प्रथा है, लेकिन भारत में कुछ शहर ऐसे भी हैं जहां रावण का दहन नहीं होता है. आइए जानते हैं कि वो कौन सी जगहें हैं जहां ऐसा किया जाता है और ऐसा करने के पीछे क्या कारण है.
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Places Where Ravan is Worshipped: नवरात्रि के नौ दिनों तक माता दुर्गा की पूजा की जाती है. नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. पूरे भारत में इस दिन रावण के पुतले को जलाया जाता है और पंडालों में स्थापित दुर्गा मां की मूर्तियों को विसर्जित किया जाता है. दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत दिखाता है. हिंदू धर्म में इस त्योहार को बड़े धूम धाम से मनाते हैं. इस दिन भगवान राम ने रावण का वध करके माता सीता को मुक्त कराया था. इसी वजह से दशहरे पर रावण का पुतला जलाया जाता है, लेकिन भारत में एक ऐसा भी शहर है जहां पर दशहरे के दिन रावण के पुतले को जलाया नहीं जाता है बल्कि रावण की पूजा की जाती है.
दक्षिण भारत में नहीं होता है रावण दहन
जिस शहर में रावण दहन नहीं किया जाता है वह दक्षिण भारत में स्थित है. आपको बता दें कि कर्नाटक के कोलार शहर में कई सालों से नवरात्रि में रावण की पूजा की जाती है. इस पूजा में बहुत सारे लोग आते हैं.
क्यों नहीं होता है रावण दहन?
कोलार में दशहरा के दिन फसल की पूजा की जाती है. इस पूजा को लंकेश्वर महोत्सव के नाम से मनाया जाता है. इस शुभ अवसर पर रथ पर रावण की मूर्तियां निकाली जाती हैं. लोग ऐसा भी मानते हैं कि इस दिन कोलार में भगवान शिव की पूजा की जाती है और रावण भगवान शिव का अन्नय भक्त था इसलिए उसकी पूजा भी होती है.
पुतले को इसिलए नहीं लगाते हैं आग
कोलार में दशहरे के दिन रावण की मंदिर में पूजा होती है. यहां रावण का एक बहुत विशाल मंदिर है. कोलार के अलावा कर्नाटक के मालवल्ली में भी रावण का मंदिर है और वहां के लोग उसे पूजते हैं. कोलार के लोग ऐसा मानते हैं कि अगर रावण के पुतले को जलाएंगे तो फसल में भी आग लग जाएगी या फिर वो ठीक से नहीं उगेगी और उन्हें पूरे साल नुकसान उठाना पड़ेगा.
कोलार के अलावा इन शहरों में भी नहीं होता है रावण दहन
भारत में कोलार और मालवल्ली के अलावा मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जोधपुर और उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों पर रावण दहन नहीं किया जाता है.
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