मां ब्रह्मचारिणी का जन्म पूर्व में राजा हिमालय के घर में पुत्री रूप में हुआ था, उस समय देवर्षि नारद के उपदेश के बाद मां ने मन ही मन भगवान भोलेनाथ को अपना पति मान लिया था. ऐसे में मां ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी, उनकी इसी तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से पुकारा गया