DNA Analysis: देश से गद्दारी करने वालों के खिलाफ इजरायली सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये 'कड़क' फैसला? क्या भारत में भी कभी हो पाएगा संभव
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DNA Analysis: देश से गद्दारी करने वालों के खिलाफ इजरायली सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये 'कड़क' फैसला? क्या भारत में भी कभी हो पाएगा संभव

Israel Supreme Court ruling on citizenship law: आतंकवाद और देश के दुश्मनों के प्रति इजरायल की नीति जगजाहिर है. अब देश से गद्दारी करने वालों के खिलाफ इजरायल की सुप्रीम कोर्ट ने कड़क फैसला दिया है, जिसकी बहुत चर्चा हो रही है. 

DNA Analysis: देश से गद्दारी करने वालों के खिलाफ इजरायली सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये 'कड़क' फैसला? क्या भारत में भी कभी हो पाएगा संभव

Israel Supreme Court ruling on citizenship law: इजरायल (Israel) में नागरिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Israel Supreme Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. इजरायल की सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2008 के नागरिकता कानून को सही ठहराया है. ये क़ानून कहता है कि अगर कोई व्यक्ति देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होता है, आतंकी गतिविधियों या देश की जासूसी करने के लिए दोषी पाया जाता है तो उसकी नागरिकता छीनी जा सकती है. यानी उसकी नागरिकता वापस लेने का सरकार को पूरा अधिकार है. 

नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला

इसमें ये भी सवाल आया कि अगर वो नागरिक इजरायल (Israel) का ही हुआ तो उसे किसी दूसरे देश में कैसे डिपोर्ट किया जा सकता है? तो अदालत ने इस पर अपने फैसले में कहा कि इस स्थिति में उस व्यक्ति की नागरिकता तो रद्द की जा सकती है, उसका मतदान अधिकार भी छीना जा सकता है, लेकिन उसे देश में रहने की इजाज़त होगी. इसके लिये आंतरिक मंत्रालय को उसे एक रेसीडेंसी परमिट जारी करना होगा.

फिलीस्तीनी मूल के नागरिकों ने जताया विरोध

हालांकि इस फैसले के बाद वहां की सरकार और फिलिस्तीनी मूल के नागरिकों के बीच एक नया संघर्ष शुरू हो गया है. इजरायल में अरब अल्पसंख्यकों के लिए काम करने वाले संगठनों का आरोप है कि इजरायल इस कानून का प्रयोग  फिलिस्तीनी मूल के लोगों के खिलाफ करेगा. एक अनुमान के मुताबिक इजरायल की आबादी में फिलिस्तीनी मूल के नागरिकों की संख्या करीब 20 प्रतिशत है. आरोप लगाए जा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से इजरायल सरकार को फिलिस्तीनी मूल के नागरिकों का दमन करने का फ्री-हैंड मिल जाएगा. फिलिस्तीनी मूल के लोगों के विरोध प्रदर्शनों को देशविरोधी ठहराया जाएगा. इसे आधार बनाकर उनके नागरिक अधिकार छीने जाएंगे और उन्हें देश से बाहर कर दिया जाएगा.

गद्दारों के खिलाफ क्यों नहीं होनी चाहिए कार्रवाई?

आज आपको भी इस बारे में सोचना चाहिए कि क्या इजरायल (Israel) का ये फैसला सही है? सोचिए अगर कोई नागरिक अपने देश के साथ गद्दारी करता है, देश में ही रह कर किसी आतंकवादी हमले को अंजाम देता है या देश के खिलाफ़ जासूसी करता है, लोगों की जान पर खतरा पैदा करता है तो उसे सभ्य नागरिक कैसे कहा जा सकता है? तो फिर ऐसे नागरिक को देश में रहने क्यों देना चाहिये? उसे वो सारे अधिकार क्यों मिलने चाहिए जो देश के किसी सभ्य और देशभक्त नागरिक को हासिल हैं? क्या उसकी नागरिकता रहनी चाहिए, इस बारे में आज आपको भी सोचना चाहिए.

कोर्ट ने फैसले में लगाई कई शर्तें

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में नागरिकता रद्द करने को लेकर कई पाबंदियां भी लगाई हैं, कई शर्तों को भी इसमें जोड़ा है. ये भी स्पष्ट किया है कि देश विरोध का अर्थ ये ना हो कि पुलिस के खिलाफ हर पत्थर फेंकने वाले को देशविरोधी मानकर उसकी नागरिकता छीन ली जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये कानून इजरायल (Israel) को दूसरे लोकतांत्रिक देशों के कानूनों के और करीब लाएगा. अब आपको बताते हैं ऐसे मामलों में अन्य देशों में कानून क्या हैं.

- अमेरिका में उन नागरिकों की नागरिकता रद्द नहीं हो सकती जो अमेरिका में ही जन्मे हैं.

- अमेरिका में किसी बाहरी व्यक्ति की नागरिकता किसी प्रतिबंधित संगठन से जुड़े होने पर छीनी जा सकती है.

- अमेरिकी में किसी भी तरह के अपराध में व्यक्ति कैद में है, तब उसे मतदान का अधिकार नहीं होता है.

- ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा महसूस होने पर किसी की नागरिकता छीनी जा सकती है, बशर्ते वो उस व्यक्ति को पास दोहरी नागरिकता हो.

- फ्रांस, ग्रीस, रोमानिया समेत 14 यूरोपीय देशों में देशद्रोह में दोषी होने पर नागरिकता वापस लेने का प्रावधान है.

- वहीं नीदरलैंड्स में सरकार के पास बिना किसी सूचना के नागरिकता खत्म करने का अधिकार है.

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